दिल्ली सरकार दिव्यांगों की सुविधा के लिए स्टैंडर्ड फ्लोर बसों में हाईड्रोलिक लिफ्ट लगाने पर कर रही विचार
दिवयांग के अनुकूल लो फ्लोर बसों की जगह स्टैंडर्ड बसें ही खरीदना चाहती है
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जानाकारी दी है कि स्टैंडर्ड फ्लोर बसों को दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार हाइड्रोलिक लिफ्ट लगाने पर विचार कर रही है।
इससे पहले कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि जब ये स्टैंडर्ड फ्लोर बसें दिव्यांगों के अनुकूल नहीं हैं तो फिर सरकार इन्हें क्यों लेना चाहती है।
पीठ ने कहा, 'ऐसी लो फ्लोर बसें क्यों नहीं खरीदी जा रहीं हैं, जो दिव्यांगों के अनुकूल हों।'
जिसके बाद दिल्ली सरकार और डीटीसी के वकील ने कहा कि उनकी परिवहन मंत्री से बात हुई है। उन्होंने बताया है कि सरकार 500 अतिरिक्त लो फ्लोर बसें खरीदी जाएंगी जो दिव्यांगों के अनुकूल होंगी।
दिल्ली सरकार की ओर से मौजूद वकील ने कोर्ट में कहा कि वह नई स्टैंडर्ड बसों में ही हाड्रोलिक लिफ्ट की सुविधा देना चाहते हैं, ताकि उसे दिव्यांगों की सुविधा के अनुसार बनाया जा सके।
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने नई स्टैंडर्ड बसों की खरीदारी की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इसके बाद दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसकी मंजूरी दिए जाने के लिए अर्जी दी थी।
न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ ने इस बारे में सरकार से हलफनामा मांगा है। गुरुवार को मामले की सुनवाई होगी।
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11 जुलाई को, दिल्ली कैबिनेट ने 1000 लो फ्लोर पर्यावरण-अनुकूल इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी थी।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस परियोजना के लिए परियोजना परामर्शदाता के रूप में दिल्ली में एकीकृत मल्टी-मोडल ट्रांजिट सिस्टम (डीआईएमटीएस) नियुक्त किया।
1000 इलेक्ट्रिक बसों को लेकर परिवहन विभाग के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मंजूरी दिल्ली के परिवहन क्षेत्र में आधुनिकीकरण करने और वायु प्रदूषण रोकने में काफी हद तक मदद करेगी।
विभाग इन 1000 इलेक्ट्रिक बसों के लिए छह जगहों पर बस डीपो बनवाएगा। जो पूर्वी विनोद नगर, बवाना सेक्टर 5, बुरारी, रोहिणी सेक्टर 37, रेवला खानपुर और नरेला में बनेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने परिवहन विभाग को यह भी सुझाव दिया कि उन्हें हाईड्रोजन बसों की संभावनाओं को तलाशना चाहिए।
वर्तमान में, दुनिया भर के 48 देशों में 200 से अधिक शहरों में इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं। चीन में सबसे ज्यादा 98 प्रतिशत इलेक्ट्रिक बसें चलती हैं।
दुनियाभर में इलेक्ट्रिक बसों का उत्पादन धीमा रहा है लेकिन पिछले तीन सालों में चीन ने 2014 में 12,760 ई-बसें खरीदी, 2015 में 94,260 ई-बसें और 2016 में 115,700 ई-बसें खरीदी है।
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