बिहार में मनरेगा का हाल, मुर्दे खोदते हैं तालाब, लेते हैं मजदूरी!
. सरकारी कागजों पर एक शख्स द्वारा अपने मरने के एक साल बाद सरकार से ना सिर्फ काम मांगा जाता है बल्कि उसे काम दे भी दिया जाता है. इतना ही नहीं एक साल पहले मर चुका शख्स 24 दिन मनरेगा के तहत मजदूरी करता है और तालाब खोदता है.
highlights
- मनरेगा में हो रहा बड़ा घोटाला
- मुर्दे को मजदूर दिखाकर किया जा रहा फर्जी भुगतान
- अच्छा खासा काम करनेवाले को भी बता दिया जाता है मजदूर
- सिर्फ कागजों पर काम करके फर्जी तरीके से निकाल ली जाती है मजदूरी
Jamui:
बिहार के जमुई में मनरेगा के तहत अब मरे हुए लोग काम करते हैं. इतना ही नहीं सरकार द्वारा मुर्दों को उनकी मजदूरी का भुगतान किया जाता है. इतना ही नहीं कई ऐसे लोगों के खाते में भी मजदूरी का भुगतान किया जाता है जो अच्चा खासा काम करते हैं. सरकारी विफलता का ये खेला जमुई जिले में सामने आया है. सरकारी कागजों पर एक शख्स द्वारा अपने मरने के एक साल बाद सरकार से ना सिर्फ काम मांगा जाता है बल्कि उसे काम दे भी दिया जाता है. इतना ही नहीं एक साल पहले मर चुका शख्स 24 दिन मनरेगा के तहत मजदूरी करता है और तालाब खोदता है. हद तो तब हो जाती है जब मुर्दे को उसके द्वारा किए गए 24 दिनों के काम की मजदूरी का भुगतान भी कर दिया जाता है. दूसरे मामले में एक शख्स जो कि अच्छा खासा एक कंपनी में नौकरी कर रहे थे उन्हें भी कागज में मजदूर दिखाया जाता है और 38 दिनों तक उन्हें तालाब की खुदाई का काम करना भी दिखाकर उन्हें मजदूरी भी दे दी जाती है.
2018 में मृत हुए शख्स ने की मजदूरी!
खैरा प्रखंड के कागेश्वर गांव निवासी संजीत कुमार की मौत 02 अगस्त 2018 को हो चुकी है. उनकी मृत्यु का प्रमाण पत्र भी सरकार द्वारा जारी कर दिया गया है लेकिन उनके मरने के एक साल बाद संजीत कुमार को मनरेगा के तहत काम भी दे दिया गया. मनरेगा के जॉब कार्ड में अंकित फैमिली संख्या 988 के तौर पर दर्ज संजीत द्वारा 2019 में 18 अप्रैल से लेकर मई 2029 तक काम किया और दो-दो बार काम किया. उसके बदले में उन्हें 24 दिनों की मजदूरी भी दे दी गई.
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अच्छा खासा काम करने वाले को बना दिया मजदूर
सिर्फ मुर्दे के नाम पर ही नहीं बल्कि जिंदा आदमी के नाम पर भी मनरेगा में लूट मची हुई है. सूरज कुमार नाम का शख्स अच्छा खासा एक अच्छी कंपनी में काम करता है लेकिन उसे भी मजदूर बनाकर उससे 38 दिनों तक कागजों पर तालाब खुदवाने का काम लिया जाता है और फिर उसकी मजदूरी का भुगतान भी कर दिया जाता है. कागजातों में दर्ज है कि सूरज कुमार ने फरवरी और मार्च महीने में मनरेगा के तहत देहरीडीह में गैरमजरूआ जमीन में तालाब की खुदाई की थी और उनकी मजदूरी भी दी गई थी. वहीं, सूरज कुमार को ये जानकर हैरानी हुई कि उनके नाम से फर्जीवाड़ा किया गया है. सूरज कुमार का जॉब कार्ड नंबर 3355 है.
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