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बिहार में चमकी बुखार का खतरा, जानें लक्षण और बचाव के तरीके

बिहार के कई जिलों में चमकी बुखार का प्रकोप देखने को मिल रहा है. जिले में चमकी बुखार से अब तक 38 बच्चे भर्ती है, जिसमें अन्य जिले के भी बच्चे यहां भर्ती है.

Updated on: 14 Jun 2023, 04:17 PM

highlights

  • बिहार में चमकी बुखार का खतरा
  • जानें लक्षण और बचाव के तरीके
  • मौत का बढ़ रहा आंकड़ा

Muzaffarpur:

बिहार के कई जिलों में चमकी बुखार का प्रकोप देखने को मिल रहा है. जिले में चमकी बुखार से अब तक 38 बच्चे भर्ती है, जिसमें अन्य जिले के भी बच्चे यहां भर्ती है. आपको बता दें कि जिले में गर्मी बढ़ने के साथ-साथ बच्चों में चमकी बुखार कहर बनकर आता है, जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, बीमारी भी बढ़ने लगती है. एक दशक पहले इस बीमारी से हजारों मां की गोद सुनी हो गई थी. हर साल मौत का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा. कोरोनाकाल में चमकी बुखार की रफ्तार कम थी. आंकड़ा शून्य के करीब था. यह बीमारी तब तक रहती है, जब तक मौसम ठंढा ना हो जाए और वर्षा ना हो जाए. बारिश के बाद बीमारी समाप्त हो जाती है. अक्सर देखा गया है कि मई महीने की शुरुआत होते ही बीमारी पांव पसारना शुरू कर देता है.

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इसबार अप्रैल से ही इसकी शुरुआत हो गई थी. सदर अस्पताल के सिविल सर्जन उमेश चंद्र शर्मा का कहना है कि अब तक 38 केस आए हैं. जिसमें 25 केस मुजफ्फरपुर जिले का है, 13 केस अन्य जिले से आए हैं. सभी का इलाज चल रहा है और ठीक होकर बच्चे घर जा रहे हैं. इसके साथ ही लोगों को बीमारी से बचाव के लिए जागरूक किया जा रहा है.

चमकी बुखार के लक्षण

चमकी बुखार के समय पीड़ित के शरीर में ऐंठन व अकड़न होती है. वहीं, शरीर के तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली भी गड़बड़ाने लगती है. तंत्रिका तंत्र के प्रभावित होने की वजह से मानसिक भटकाव की भी समस्या आने लगती है. जिससे बच्चों को झटका लगता है या वे बेहोश हो जाते हैं.

चमकी बुखार से बचाव का तरीका

चमकी बुखार का इलाज समय पर हो जाना चाहिए, नहीं तो मरीज की हालत तेजी से बिगड़ जाती है. यह गर्मी में एक तरह के वायरस के संक्रमण से होता है. इसकी वजह कभी लीची, तो कभी खाली पेट रहना भी बताया जाता है.