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मिशन 2024 : बेगूसराय पर कांग्रेस ने किया सबसे ज्यादा समय तक राज, BJP ने दी कड़ी चुनौती, I.N.D.I.A. के लिए जीत की राह कितनी है कठिन? जानिए-पूरा लेखा जोखा

2009 में यहां से बीजेपी के साथ मिलकर एनडीए का पार्ट रहने के कारण जेडीयू तो बंपर जीत मिली थी लेकिन 2014 में जेडीयू और बीजेपी की राहें अलग अलग हो गई. इस सीट पर कांग्रेस और वामपंथी दलों ने बारी बारी जमकर राज किया.

Updated on: 18 Sep 2023, 10:24 PM

highlights

  • बेगूसराय सीट का पूरा लेखा जोखा
  • भूमिहार, ब्राम्हण वोटों के दम पर जीतते रहे हैं प्रत्याशी
  • 2014 में पहली बार बीजेपी को स्वतंत्र रूप से बेगूसराय सीट पर मिली थी जीत
  • कांग्रेस और वामपंथी दलों को भी खूब मिला संसद में प्रतिनिधित्व करने का मौका
  • INDIA गठबंधन के लिए आसान नहीं होगी 2024 की लड़ाई

Patna:

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्मस्थान तथा बिहार के 40 लोकसभा क्षेत्रों में से एक बेगूसराय. बूढ़ी गंडक, बलान, बैंती, बाया और चंद्रभागा बेगूसराय के चरण पखारती हैं. पूरे एशिया के सबसे बड़ी और मीठे पानी की झीलों में से एक कावर झील यहीं अपने बेगूसराय में ही है. यहां इण्डियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड का बरौनी तेलशोधक कारखना है.  बरौनी थर्मल पावर स्टेशन और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर लिमिटेड समेत कई कारखाने बेगूसराय की शान हैं. महाविद्यालय ललित नारायण, महंथ कॉलेज, गणेश दत्त महाविद्यालय, महिला कॉलेज जैसे शैक्षणिक संस्थान बेगूसराय का नाम रौशन करते हैं.

फिलहाल बेगूसराय लोकसभा सीट से बीजेपी के फायर ब्रांड व कट्टर हिंदुत्व की छवि वाले नेता गिरिराज सिंह संसद सदस्य यानि लोकसभा सांसद हैं. गिरिराज सिंह केंद्रीय मंत्री भी हैं. अपने आलोचकों पर गिरिराज सिंह बिना कुछ सोचे समझे और बिना किसी लाग लपेट के सीधा-सीधा और करारा हमला बोलते रहे हैं. गिरिराज सिंह पार्टी लाइन से हटकर भी बयान देते रहे हैं लेकिन कभी भी उनकी पार्टी बीजेपी ने कभी भी उनपर अंकुश लगाने का प्रयास नहीं किया. 2009 में यहां से बीजेपी के साथ मिलकर एनडीए का पार्ट रहने के कारण जेडीयू तो बंपर जीत मिली थी लेकिन 2014 में जेडीयू और बीजेपी की राहें अलग अलग हो गई. तत्कालीन जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने जेडीयू गठबंधन तोड़ने का ऐलान सिर्फ इसलिए किया क्योंकि एनडीए द्वारा नीतीश कुमार को पीएम प्रत्याशी नहीं घोषित किया गया और नरेंद्र मोदी के नाम का ऐलान कर दिया गया था.

2009 में JDU की जीत


2009 में बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने के कारण बेगूसराय सीट जेडीयू के खाते में आई थी और जेडीयू के प्रत्याशी डॉ. मोनाजिर हसन ने जीत हासिल की थी. 2,05,680 वोट पाकर डॉ. हसन विजयी हुए जबकि 1,64,843 वोट के साथ सीपीआई के शत्रुघ्न प्रसाद सिन्हा दूसरे स्थान पर रहे. वहीं, लोजपा, कांग्रेस समेत दूसरे दलों का बुरा हाल रहा. लोजपा तीसरे स्थान पर रही और कांग्रेस चौथे स्थान पर रही.

2014 में बेगूसराय में खिला कमल

2014 में देश में मोदी लहर थी और ऐसे-ऐसे बीजेपी के प्रत्याशी लोकसभा चुनाव जीत गए जिन्होंने कभी प्रधानी का भी चुनाव नहीं जीता होगा. एकतरफा वोटिंग बीजेपी के लिए नरेंद्र मोदी के नाम पर हुई. यानि ये कहना सही होगा कि 2014 में देश की जनता ने बीजेपी प्रत्याशियों के नाम पर नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी के चेहरे को ध्यान में रखते हुए वोटिंग की. लोगों को बीजेपी द्वारा चुनावी मैदान में उतारे गए प्रत्याशी से कोई विशेष लगाव नहीं था.

2014 में बीजेपी ने बेगूसराय से डॉ. भोला सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया और भोला सिंह को 4,28,227 वोट मिले और वह संसद पहुंचे. वहीं, आरजेडी प्रत्याशी तनवीर हसन 3,69,892 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे जबकि सीपीआई के रांजेंद्र प्रसाद सिंह 1,92,639 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. 

2019 में फिर खिला कमल

बेगूसराय में 2019 में एक बार फिर से कमल खिला. इस बार बीजेपी ने मौजूदा केंद्रीय मंत्री व सांसद गिरिराज सिंह पर भरोसा जताया और भोला सिंह की जगह गिरिराज को प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा. गिरिराज सिंह को प्रत्याशी बनाने का फैसला बीजेपी का सही साबित हुआ. गिरिराज सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्ववंदी सीपीआई के प्रत्याशी व चर्चित छात्र नेता कन्हैया कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया था.

कन्हैया कुमार का 2019 में युवाओं में अच्छा खासा क्रेज था. पहली बार चुनावी मैदान में उतरने के बावजूद कन्हैया कुमार ने 2,69,976 वोट बेगूसराय की जनता से प्राप्त करने में कामयाब रहे. हालांकि, गिरिराज सिंह 692,193 वोट पाकर पहले स्थान पर रहे व विजयी घोषित हुए. गिरिराज सिंह की आंधी में विपक्ष के सभी नेता उड़ गए और पहले व दूसरे स्थान के प्रत्याशी के बीच 3 लाख से भी ज्यादा वोटों का अंतर था. वहीं, आरजेडी के प्रत्याशी तनवीर हसन 1,98,233 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे.

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2024 में क्या होगा?

अब सवाल ये उठता है कि 2024 में क्या होगा? तो उत्तर ये है कि I.N.D.I.A. गठबंधन के लिए बेगूसराय की लड़ाई आसान नहीं होगी. बेगूसराय में मौजूदा सांसद व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का क्रेज कम नहीं हुआ है. गिरिराज सिंह अपने बेबाक बयान के लिए जाने जाते हैं और उनके बयानबाजी की ही वजह से 2019 में 2014 के मुकाबले ज्यादा वोट बीजेपी को मिले थे. वहीं, अगर विपक्षी दलों की बात करें तो 2009 से ही उसकी हालत खराब रही है. 2009 में जेडीयू को जीत मिली थी लेकिन बीजेपी उसके साथ थी, बावजूद इसके बहुत ही मामूली अंतर से जेडीयू अपने विपक्षी को हरा पाई थी. बेगूसराय में NDA मजबूत अवस्था में दिख रही है.

गिरिराज सिंह, बीजेपी सांसद, बेगूसराय (फाइल फोटो)

बेगूसराय से कौन, कब, पहुंचा संसद?

बेगूसराय लोकसभा सीट देश में गणतंत्र स्थापित होने के 2 साल के अंदर ही अस्तित्व में आ गया. 1952 में पहली बार बेगूसराय लोकसभा सीट पर चुनाव हुए और कांग्रेस प्रत्याशी मथुरा प्रसाद मिश्रा को जीत मिली. उसके बाद 1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस से ही मथुरा प्रसाद मिश्रा को जीत मिली. इस तरह मथुरा प्रसाद मिश्रा 1952 से लेकर 1967 तक बेगूसराय का प्रतिनिधित्व बतौर संसद सदस्य करते रहे.

1967 में हुए लोकसभा  चुनाव में कांग्रेस के हाथ से बेगूसराय सीट निकल गई. बतौर सीपीआई प्रत्याशी योगेंद्र शर्मा को जीत मिली लेकिन ये जीत कांग्रेस ने एक बार फिर से 1971 में वापस छीन ली. 1971 में श्याम नंदन मिश्रा को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया और उनकी जीत हुई.

1977 के आम चुनाव में श्याम नंदन मिश्रा ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया और जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और एक बार फिर से जीत हासिल की.

1980 में कांग्रेस ने एक बार फिर से बेगूसराय सीट पर जीत हासिल करने में कामयाबी हासिल की. 1980 और 1984 में हुए आम चुनाव में कृष्णा साही को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया और उन्हें जीत मिली.

1989 के आम चुनाव में जनता दल को बेगूसराय सीट पर जीत मिली. ललित विजय सिंह जनता दल के चुनाव निशान पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की.

1991 में एक बार फिर से कांग्रेस ने बेगूसराय में जीत के साथ वापसी की और एक बार फिर से कृष्णा साही बेगूसराय सीट से संसद सदस्य बने.

1996 में 1967 के बाद एक बार फिर से सीपीआई ने बेगूसराय सीट पर जीत दर्ज की. सीपीआई ने 1996 में रामेंद्र कुमार को प्रत्याशी बनाया और उन्हें आम जनता ने संसद पहुंचाया.

1998 और फिर 1999 में हुए बेगूसराय लोकसभा सीट पर चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस ने वापसी की और राजो सिंह ने बतौर कांग्रेस प्रत्याशी बेगूसराय से संसद में संसद सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व किया. 1999 की जीत कांग्रेस के लिए अभी तक की आखिरी जीत साबित हुई. 1999 ये बाद बेगूसराय से अभी तक कांग्रेस की जीत नहीं हो पाई.

2004 के आम चुनाव में जेडीयू के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने जीत हासिल की और 2009 को लोकसभा चुनाव में मोनाजिर हसन ने बतौर जेडीयू प्रत्याशी बेगूसराय सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर की वजह से बेगूसराय सीट पर बीजेपी को स्वतंत्र रूप से पहली बार जीत हासिल हुई. गिरिराज सिंह ने 2014 में नवादा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीत भी हासिल की थी.

2019 में गिरिराज सिंह को बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाकर 2014 की रही सही कसर पूरी कर दी. गिरिराज सिंह की आंधी में तमाम विपक्षी दल पत्तों की तरह उड़ गए और गिरिराज सिंह को बंपर वोटों से जीत मिली थी.  

बेगूसराय में विधानसभा सीटों का हाल

बेगूसराय के विधानसभा सीटों के हालात पर अगर नजर डालें तो यहां बीजेपी की हालत कुछ अच्छी नहीं है. यहां सात विधानसभा बेगूसराय, मटिहानी, बछवाडा, तेघड़ा, चेरिया बरियारपुर, साहेबपुर कमाल और बखरी (सुरक्षित) सीटें हैं लेकिन सात में से 5 पर महागठबंधन दलों का कब्जा है जबकि केवल 2 सीटों पर ही बीजेपी को जीत मिली थी. 


कुल मतदाताओं की संख्या (2019 के मुताबिक)

-कुल वोटर: 19,53,007
-कुल पुरुष वोटर: 10,38,983 
-कुल महिला वोटर: 9,13,962
-थर्ड जेंडर वोटर: 62

संभावित जातिगत वोटरों की संख्या (2019 के मुताबिक)

-भूमिहार वोटर : 3,80,000
-मुसलमान वोटर: 2,84,000
-यादव वोटर: 2,25,000
-कुर्मी वोटर: 1,40,000
-कुशवाहा वोटर: 1,25,000
-राजपूत वोटर: 75,000
-कायस्थ वोटर: 50,000
-ब्राह्मण वोटर: 80,000
-पासवान वोटर: 1,50,000
-निषाद वोटर: 7,000
-मुसहर वोटर: 7000
-अन्य जातियों के वोटर: 1,00,000 के आस-पास