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Land for Jobs Scam: तेजस्वी 4 लाख में बन गए  150 करोड़ के मकान के मालिक-सुशील मोदी

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ने कहा कि सीबीआई द्वारा आज ‘नौकरी के बदले जमीन घोटाला’ मामले में पूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया है. उन्होंने कहा कि इसका संबंध विपक्षी एकता बैठक से नहीं है.

Updated on: 03 Jul 2023, 08:03 PM

highlights

  • सुशील मोदी ने लालू परिवार पर कसा तंज
  • डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर बोला करारा हमला
  • लैंड फॉर जॉब्स स्कैम में चार्जशीट को लेकर बोला हमला
  • सीबीआई ने आज राउज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल की है तेजस्वी के खिलाफ चार्जशीट

Patna:

सीबीआई द्वारा आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में आरजेडी चीफ लालू यादव, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है. मामले में अगली सुनवाई 12 जुलाई 2023 को होगी. बता दें कि ये घोटाला 2004 से 2009 की है, उस वक्त लालू यादव रेल मंत्री थे. केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. इस दौरान लालू यादव को रेल मंत्री का पद दिया गया था. लालू यादव ने रेल मंत्री रहने के दौरान रेलवे में नौकरी देने के नाम पर रिश्वत के रूप में लोगों से उनकी जमीन ली थी. अब इस मुद्दे को लेकर भी बीजेपी हमलावर हो गई है और एक बार फिर से खासकर बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर करारा हमला बोल रही है.

4 लाख में तेजस्वी बन गए 150 करोड़ के घर के मालिक

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ने कहा कि सीबीआई द्वारा आज ‘नौकरी के बदले जमीन घोटाला’ मामले में पूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया है. उन्होंने कहा कि इसका संबंध विपक्षी एकता बैठक से नहीं है क्योंकि इस मामले में लालू-राबड़ी के खिलाफ चार्जशीट बहुत पहले ही दाखिल हो चुकी है.

सुशील मोदी ने कहा कि सारे दस्तावेज श्री ललन सिंह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ही तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह को उपलब्ध कराया था. सुशील मोदी ने कहा कि इस जमीन घोटाले का संबंध तेजस्वी यादव के नई दिल्ली स्थित 150 करोड़ के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी D-1088 से है जिसे तेजस्वी यादव ने ए.बी. एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से मात्र 4 लाख में खरीद लिया था. इस पूरे मामले में तेजस्वी यादव से कई बार पूछ-ताछ हो चुकी है तथा लालू-राबड़ी-मीसा भारती पहले से चार्जशीटेड  है तथा जमानत पर है.

क्या है मामला?

बता दें कि यह पूरा मामला 2004-2009 के रेलवे भर्ती घोटाले से जुड़ा है. उस समय लालू यादव रेल मंत्री थे, तब नौकरी के बदले जमीन देने के लिए कहा जाता था. चूंकि, नौकरी के बदले पैसे लेने में रिस्क रहता था. इसलिए पैसे की जगह जमीन ली जाती थी. इस पूरे जमीन वसूली के काम की जिम्मेदारी लालू यादव के उस समय के OSD भोला यादव को दी गई थी. इस मामले की चार्जशीट में CBI ने लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और 14 अन्य को आरोपी बनाया है. वहीं मामले में सीबीआई ने 23 सितंबर 2021 नौकरी के बदले जमीन मामले का खुलासा करते हुए बताया था कि कैसे लालू ने रेल मंत्री रहते हुए घोटाले को अंजाम दिया. 18 मई, 2022 को भ्रष्टाचार निरोधक कानून और आईपीसी की धारा 120बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.

बता दें कि आरोप ये लगा कि रेलवे में नौकरी के बदले कई लोगों से जमीन ली गई. एक मामले में 105,292 वर्ग फुट की जमीन लालू प्रसाद यादव के परिवार ने विक्रेताओं से खरीदी थी. सात जमीन में से पांच बिक्री विलेख और दो उपहार विलेख के जरिए ली गई थी. बता दें कि ईडी आईआरसीटीसी घोटाले के सिलसिले में तीन राज्यों में करीब 15 जगहों पर छापेमारी कर रही है.

सीबीआई ने दर्ज किया था केस

सीबीआई ने तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियों और 15 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिनमें अज्ञात लोक सेवक और निजी व्यक्ति शामिल थे. एक अधिकारी ने कहा, 2004-2009 की अवधि के दौरान, उन्होंने रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह डी पदों पर नियुक्ति के बदले में अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन-जायदाद के हस्तांतरण के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया. सीबीआई के मुताबिक, जोनल रेलवे में स्थानापन्न की ऐसी नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, फिर भी पटना के निवासी नियुक्तियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न क्षेत्रीय रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था. इस कार्यप्रणाली को जारी रखते हुए, लगभग 1,05,292 वर्ग फीट जमीन, पटना में स्थित अचल संपत्ति लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा पांच बिक्री विलेखों और दो उपहार विलेखों के माध्यम से अधिग्रहित की गई थी, जिसमें अधिकांश भूमि हस्तांतरण में विक्रेता को नकद में किए गए भुगतान को दशार्या गया था.