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Flood in Bihar: बिहार के कई जिलों में बाढ़ से हाहाकार, पलायन को मजबूर लोग

बिहार में बाढ़ से हाहाकार है. कई नदियां उफान पर हैं. हाल ये है कि लोग पलायन करने पर मजबूर हैं. कई जगहों से ऐसी तस्वीरें सामने आई है जिसे देखकर आप दंग रह जाएंगे.

Updated on: 31 Aug 2023, 06:27 PM

highlights

  • कटिहार में पांच दिनों से कटाव का कहर
  • डर और दहशत के बीच पलायन
  • बेतिया में लोगों की जान जोखिम में
  • भागलपुर में भी हाहाकारी बाढ़

Patna:

बिहार में बाढ़ से हाहाकार है. कई नदियां उफान पर हैं. हाल ये है कि लोग पलायन करने पर मजबूर हैं. कई जगहों से ऐसी तस्वीरें सामने आई है जिसे देखकर आप दंग रह जाएंगे. कहीं लोग कटाव के डर से खुद ही अपने आशियाने को उजाड़ रहे हैं तो कहीं लोगों के आशियाने आंखों के सामने ही नदीं में समाते हुए दिखाई दे रहे हैं. कई जिलों में नदियां उफान पर हैं. नदियों के प्रहार से अब कटाव भी लोगों के लिए आफत बन रहा है. उफनती नदियां अब आशियानें ही नहीं बल्कि गांवों को निगलने पर अमादा है. घर आंगन दरिया में तब्दील हो चुका है. खेतों में भी बाढ़ की दस्तक हो गई है.

कटिहार में पांच दिनों से कटाव का कहर

कटिहार के अमदाबाद प्रखंड में ग्रामीण के लिए बाढ़ और कटाव मानो नियति बन गई है. प्रखंड के पारदियारा पंचायत के भादू टोला गांव में पिछले पांच दिनों से कटाव का कहर जारी है. कटाव के जद में पूरा गांव है और अभी तक दर्जनों घर गंगा नदी में समा गए हैं. कटिहार में तो नदी घरों को ऐसे लील रही है मानों घर ईंट-पत्थर से नहीं बल्कि कागज से बने हों. नदी किनारे लगातार मिट्टी का कटाव भी जारी है. जिससे आस-पास के लोगों में दहशत का माहौल है.

डर और दहशत के बीच पलायन

कटिहार में कटाव और बाढ़ से दहशत में आए ग्रामीण अब अपने ही आशियानों को तोड़कर पलायन करने को मजबूर हैं. क्योंकि अगर अभी पलायन नहीं करेंगे तो बचे कुचे सामाने के साथ उनका घर भी गंगा में समा जाएगा. एक तरफ जहां ग्रामीण डर और दहशत के बीच अपने ही घर बार को छोड़कर जाने पर मजबूर हो गए हैं तो वहीं दूसरी ओर प्रशासन की ओर से अभी तक इनकी सुध लेने की जहमत भी नहीं उठाई गई है. बाढ़ पीड़ितों को अभी तक शासन और प्रशासन की ओर से मदद मुहैया नहीं कराई गई है.

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भागलपुर में भी हाहाकारी बाढ़

भागलपुर से भी हाहाकारी बाढ़ के बीच दिल को कचोटने वाली तस्वीर सामने आई. जहां के नवगछिया में कटाव की तेज रफ्तार को देखते हुए कोसी नदी किनारे बसे लोग अपने खून-पसीने की कमाई से बनाए गए घर को खुद तोड़ रहे हैं. साथ ही घर में रखे सारे सामान के साथ पलायन की तैयारी कर रहे हैं. वहीं, कुछ लोग घर छोड़ कर सुरक्षित जगहों पर चले भी गए हैं. लोगों का कहना है कि पिछले पांच दिन से भयंकर कटाव की स्थिति है. कई घर कोसी नदी के आगोश में समा चुके हैं.

बेतिया में लोगों की जान जोखिम में

बेतिया से भी देखने को मिल रही है. जहां मनियारी और जमुआ नदी उफान पर है और नदी के रौद्र रूप का कहर ग्रामीण झेलने को मजबूर हैं. दरअसल गौरीपुर मंझरिया गांव तक जाने वाली मुख्य सड़क को नदी अपने साथ बहा कर ले गई. जिसके चलते गांव का संपर्क अनुमंडल मुख्यालय से टूट चुका है. ग्रामीण गांव में ही फंस कर रह गए हैं. सबसे ज्यादा परेशानी गांव के बीमार लोगों को हो रही है. गांव में ना कोई गाड़ी जा सकती है और ना ही आ सकती है. आलम ये है कि लोग पैदल जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने इसकी सूचना कई बार प्रशासन के अधिकारियों को भी दी है, लेकिन अधिकारी सुनने का नाम नहीं ले रहे.

सुपौल में प्राकृतिक आपदा

सुपौल में कोसी बैराज से पानी का डिस्चार्ज लगातार घट रहा है. इस बीच कई इलाकों में कटाव तेज हो गया है. पूर्वी कोसी तटबंध के 64.95 स्पर पर नदी का दवाब अभी भी कायम है. जिस वजह से यहां कटाव निरोधी कार्य जारी है, लेकिन आम जनता के लिए सिर्फ प्राकृतिक आपदा ही आफत नहीं है. अधिकारियों की लापरवाही भी लोगों के लिए मुसीबत बन गई है. दरअसल यहां होने वाले कटाव निरोधी कार्य में बड़ी लापरवाही हो रही है. जहां कटाव रोकने के लिए बैग में मिट्टी भर कर डाला जा रहा है. जबकि कोसी तटबंध के नजदीक से भी मिट्टी का कटाव करना आने वाले समय में कोसी के लिए बड़ी विपदा को दावत देने जैसा है. बावजूद इसके जल संसाधन विभाग पूरी तरह से मौन है.

क्या ये ही बिहारवासियों की तकदीर?

बिहार में हर साल बाढ़ के बाद ऐसी ही तस्वीरें देखने को मिलती है. कहीं कटाव से लोग परेशान होते हैं तो कहीं बाढ़ का पानी लोगों के घर-आंगन को डूबो देता है. कहीं लोगों के आशियानों को नदी बहा ले जाती है तो वहीं लोग पलायन का दंश झेलते हैं. मानो बाढ़ का दंश ही बिहारवासियों की तकदीर बन गई है. शासन प्रशासन दावे तो करती है, लेकिन इन दावों में कितना दम होता है. ये तो ग्रामीणों की बेबसी ही बता रही है. जहां प्राकृतिक आपदा के बीच लोग त्राहिमाम कर रहे हैं और जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के कानों तले जूं तक नहीं रेंग रही.