तेजस्वी का बड़ा ऐलान, कहा- बिहार में प्राइवेट सेक्टर में भी मिलेगा आरक्षण
देश हो या राज्य जब भी आरक्षण का मुद्दा उठता है तो इस पर राजनीति होना तय है. एक बार फिर से बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने 15 अगस्त, 2023 को पटना में एक दलित बस्ती में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे.
highlights
- तेजस्वी ने प्राइवेट सेक्टर में की आरक्षण की मांग
- पहले भी प्राइवेट सेक्टर में उठ चुकी है आरक्षण की मांग
- बिहार में फिर बढ़ी सियासी गर्माहट
Patna:
देश हो या राज्य जब भी आरक्षण का मुद्दा उठता है तो इस पर राजनीति होना तय है. एक बार फिर से बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने 15 अगस्त, 2023 को पटना में एक दलित बस्ती में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे. इस दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने एक बार फिर से राज्य में निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू किए जाने की बात कह दी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य में जाति आधारित सर्वे समाप्त होते ही निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू किया जाएगा. साथ ही कहा कि हम निजी क्षेत्र में भी आरक्षण चाहते हैं, तब जाकर ही पिछड़े वर्ग के लोगों का विकास हो पाएगा.
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पहले भी प्राइवेट सेक्टर में उठा चुके हैं आरक्षण की मांग
यह पहली बार नहीं है जब आरजेडी या तेजस्वी ने प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण का मुद्दा उठाया हो. इससे पहले भी का एजेंडा 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान, 2021 और 2022 में तेजस्वी जाति आधारित जनगणना के आधार पर प्राइवेट सेक्टर में रिजर्वेशन की मांग उठा चुके हैंय आरजेडी ने इस मुद्दे को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया था.
हमारे देश में आरक्षण का मुद्दा सालों से चलता आ रहा है. यूं तो इसकी शुरुआत आजादी से पहले ही नौकरियों और शिक्षा में पिछड़ी जातियों के लिए की गई थी. वहीं, अलग-अलग राज्यों में भी विशेष आरक्षण को लेकर कई बार आंदोलन होता रहता है.
रामविलास पासवान भी कर चुके हैं निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग
बिहार से तेजस्वी यादव ही नहीं लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख स्वर्गीय राम विलास पासवान भी प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की मांग कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि देश में नौकरियों की कमी हो रही है. इसलिए सरकारी सेक्टर के साथ ही प्राइवेट क्षेत्र में आरक्षण की मांग की थी.
जीतन राम मांझी ने प्राइवेट सेक्टर में की 60 फीसदी आरक्षण की मांग
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी भी प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की मांग उठा चुके हैं. उन्होंने तो प्राइवेट सेक्टर में 60 फीसदी आरक्षण की मांग की थी.
आरक्षण की शुरुआत
- आजादी के पहले प्रेसिडेंसी रीजन में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की शुरुआत की थी. महाराष्ट्र में कोल्हापुर के महाराजा छत्रपति साहूजी महाराज ने 1901 में पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी.
- जिसके बाद अंग्रेजों ने साल 1908 में पिछड़े वर्गों की प्रशासन में हिस्सेदारी के लिए आरक्षण शुरू किया.
- 1935 में भारत सरकार अधिनियम के तहत सरकारी आरक्षण को सुनिश्चित किया गया.
- 1942 में बाबा साहब अम्बेडकर ने सरकारी सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की मांग उठाई थी.
आरक्षण का उद्देश्य और मॉडल
आरक्षण की शुरुआत समाज में पिछड़े और दलित लोगों के उत्थान और विभिन्न क्षेत्रों में हर वर्ग की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए की गई थी. ताकि समाज का उत्थान हो सके और हर वर्ग के लोगों को आगे आने का मौका मिल सके.
आरक्षण से जुड़े अहम फैक्ट
आपको बता दें कि 15(4) और 16(4) के तहत अगर शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी सेवाओं में यह साबित होता है कि किसी वर्ग की हिस्सेदारी कम है या उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो उसे आरक्षण दिया जा सकता है.
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