उदयपुर हत्याकांड: आरोपियों का दावत ए इस्लामी और तहरीक ए लब्बैक से संबंध
पाकिस्तान में दावत ए इस्लामी के जलसों को ये आरोपी सुनियोजित तरीके से करते थे वायरल, उस वीडियो को चुना जाता था जो सबसे भड़काऊ होता था.
नई दिल्ली:
उदयपुर हत्याकांड में आरोपी पाकिस्तानी संस्था दावत ए इस्लामी के जलसों के वीडियो को सुनियोजित तरीके से वायरल करते थे. उस वीडियो को चुना जाता था जो सबसे भड़काऊ होता था. गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक उदयपुर हत्याकांड मामले में गिरफ्तार आरोपियों की पाकिस्तानी संस्था दावत ए इस्लामी अलावा तहरीक ए लब्बैक के धार्मिक गुरुओं से भी संपर्क की जानकारी सामने आ रही है. अब तक की जांच में ये पता चला है कि पाकिस्तान में दावत ए इस्लामी के जलसों को ये आरोपी सुनियोजित तरीके से करते थे वायरल, उस वीडियो को चुना जाता था जो सबसे भड़काऊ होता था. इसके अलावा पाकिस्तान की इस दावत ए इस्लामी धार्मिक संस्था के भारत में भी व्यापक स्तर पर जलसे करवाने की ये योजना तैयार कर रहे थे.
गिरफ्तार किए गए आरोपी गौस के बारे में जांच एजेंसियों को अहम जानकारी मिली है. पाकिस्तान में कराची के अलावा इसमें दो बार सऊदी अरब की यात्रा की थी, जिसमें से एक बार वह अपने परिवार के साथ दिया था और एक बार अकेले गया था. 2014 से वह लगातार पाकिस्तान कि कुछ धार्मिक गुरुओं के संपर्क में था जिनकी विचारधारा की बातें वह अपने आसपास के लोगों से करता था.
कराची के अलावा आरोपी गौस पाकिस्तान के मीरपुर, घारो और साकरो इलाके के करीब आधा दर्जन धर्मगुरुओं के संपर्क में था.जांच एजेंसियां अब इस बात की तफ्तीश कर रही है अमरावती कांड के आरोपियों का पाकिस्तान की किस संस्था से संपर्क था और उनके कौन से धार्मिक गुरुओं का वो वीडियो सुना करते थे.
क्या है दावत ए इस्लामी संस्था
यह पाकिस्तान की सबसे बड़ी धार्मिक संस्थाओं में से एक है जो व्यापक स्तर पर सिर्फ आनलाइन झलूस ही करती है, अन्य धार्मिक संस्थाओं की तरह ये किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ी है.1981 में बनी इस संस्था का हेडक्वार्टर कराची में है, इसके 300 से अधिक मदरसे पाकिस्तान में है.
अधिकारिक रूप से ये संस्था अपने-आपको समाजसेवी संस्था बताती है, लेकिन यह पाकिस्तान के विवादित ब्लाफेमी कानून का समर्थन करती है. यह संस्था बरेलवी सुन्नी पंथ की विचारधारा को अपना मूल आधार मानती है. कराची और आसपास के इलाकों में सबसे प्रभावशाली संस्था है जिससे लाखों युवा जुड़े हैं.
तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान का सिरदर्द और भारत के लिए बड़ा खतरा
दरसल 2020 में फ्रांस में प्रॉफिट मोहम्मद के संदर्भ में एक विवादित मुद्दा सामने आया था उसके विरोध में यह संस्था मांग कर रही थी कि फ्रांस के राजदूत को वापस बुलाया जाए.. इसी के चलते मार्च 2021 में पूरे पाकिस्तान में इस संस्था ने विरोध किया और इसके 2000 कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए.
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साद रिजवी इस संस्था का सरगना है जिसने अपने पिता की मौत के बाद इस संस्था की कमान संभाली है..तत्कालीन इमरान खान सरकार और इस संस्था के पीछे विवाद को विराम देने के लिए एक समझौता भी हुआ था. इन दोनों संस्था का कराची गढ़ है.
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