Chhattisgarh Naxal attack: जब 250 नक्सलियों ने जवानों को घेरकर रचा खूनी खेल, शवों के नीचे लगाई थी IED
नक्सली हमले में 11 मार्च 2014 का दिन काले अध्याय के रूप में देखा जाता है. छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले मे नक्सलियों ने पुलिस दल पर घात लगाकर हमला किया था.
highlights
- 11 मार्च 2014 का दिन काले अध्याय के रूप में देखा जाता है
- सुकमा जिले मे नक्सलियों ने जवानों पर घात लगाकर हमला किया था
- 250 से अधिक नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमला बोल दिया
नई दिल्ली:
Chhattisgarh Naxal attack: नक्सली हमले में 11 मार्च 2014 का दिन काले अध्याय के रूप में देखा जाता है. छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले मे नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला किया था. इस हमले में 15 जवान शहीद हो गए. हमले में तीन जवान घायल भी हुए. बताया जाता है कि उस समय सुकमा जिले के तोंगपाल और झीरम गांव के नजदीक सड़का निर्माण का कार्य चल रहा था. इस निर्माण कार्य की सुरक्षा के लिए केंद्रीय सुरक्षाबलों के करीब 50 जवानों को तैनात किया गया था. जवान सड़क की सुरक्षा कर रहे थे, तभी 250 से अधिक नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमला बोल दिया. सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई की. यह हमला अचानक और घात लगाकर किया गया था. सुरक्षाबलों को इस बात का बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था कि इतनी बड़ी संख्या में नक्सली उन पर हमला करने वाले हैं.
बताया जाता है कि 11 मार्च 2014 के दिन सीआरपीएफ और जिला पुलिस बल के 50 जवान सर्चिंग पर थे. इस दौरान 15 जवान आगे थे. इस बीच घात लगाए करीब 250 नक्सलियों ने उन पर हमला बोल दिया. पहले उन्होंने आईईडी ब्लास्ट (IED Blast) किया. इसके बाद उन पर अंधाधुंध फायरिंग करनी आरंभ कर दी. इसमें 15 जवान शहीद हो गए. वहीं एक राह चलते ग्रामीण की गोली लगने से मौत हो गई.
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इस हमले की बर्बरता इतनी अधिक थी कि नक्सलियों ने पूरी बटालियन को खत्म करने की योजना बनाई थी. नक्सलियों ने जवानों के शवों के नीचे आईईडी लगा दी थीं, ताकि जब शव को उठाएं जाएं तो बड़े धमाके में अन्य जवान भी मारे जाएं. मगर यहां पर बटालियन ने सतर्कता बरती और बम निरोधक दस्ते को बुलाया गया. बम निरोधक दस्ते ने आईईडी (IED) को निष्क्रिय कर दिया. इसके बाद जवानों के शव यहां से निकाले गए. इस इलाके में नक्सल गतिविधियां अधिक होती हैं. यह ‘जीरम घाटी’ के पास है. साल 2013 मई में यहां पर माओवादियों ने कांग्रेस के नेताओं पर हमला कर उनकी हत्या कर दी थी. इससे पहले अप्रैल 2010 में यहां पर नक्सल हमले में 76 पुलिसकर्मियों शहीद हो गए थे. करीब 1 हजार से ज्यादा नक्सलियों ने घात लगाकर 150 जवानों को घेरा था. इस हमले में जवानों के पास बच निकलने का कोई रास्ता नहीं था.
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