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किसी जमाने में दिल्ली का दूर-दूर तक नहीं था नाम, इस शहर का बजता था डंका

ईस्ट इंडिया कंपनी को बड़ी कामयाबी मिली जब 1756 में सिराजुद्दौला बंगाल के नवाब बन गए. कंपनी ने यहां पर कई कारखाने खोले और शहर का विकास भी किया.

Updated on: 14 Jun 2023, 01:21 AM

नई दिल्ली:

एक जमाना था जब देश की राजधानी दिल्ली नहीं बल्कि कोलकता हुआ करती थी. उस समय इसका नाम कलकत्ता था. यह शहर 1772 में ब्रिटिश काल में भारत की राजधानी हुआ करता था. यहां पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने कई कारखाने खोले थे. कंपनी ने शहर को विकसित बनाने का प्रयास किया. यह शहर बाद में मुख्य व्यापारिक केंद्र बनकर उभरा. दरसअल ईस्ट इंडिया कंपनी का पहला कार्यक्षेत्र कोलकता ही था. ​ईस्ट इंडिया कंपनी शुरुआत से देश के कई भागों पर अपना व्यापार फैला रही थी. मगर उसे बड़ी  सफलता हाथ नहीं लगी थी. 

कंपनी को बड़ी सफलता तब हाथ लगी, जब 1756 में सिराजुद्दौला बंगाल के नवाब बन गए. बंगाल सबसे अमीर राज्यों में गिना जाता था. यहां कपड़े के बड़े कारखाने थे. यह जहाज निर्माण का प्रमुख केंद्र था. बताया जाता है कि उस समय बंगाल बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, असम, ढाका इत्यादि को मिलाकर देश का पूर्वी हिस्सा कहा जाता था. कंपनी ने कलकत्ता (अब कोलकाता) में अपना विस्तार करना शुरू किया.

सेनापति को लालच देकर नवाब को धोखा दिया गया

नवाब सिराजुद्दौला के सेनापति मीर जाफर को ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने साथ मिला लिया. सेनापति को लालच देकर नवाब को धोखा दिया गया. 23 जून 1757 को कंपनी और नवाब के बीच प्लासी नामक स्थान पर युद्ध हुआ. कंपनी ने सिराजुद्दौला को हरा दिया. मीर जाफर नवाब बना. 1765 में मीर जाफर की मौत हो गई. बाद में कंपनी ने रियासत अपने हाथ में ले ली. इसके बाद शहर में कारखाने खोले गए. शहर का व्यापार तेजी से बढ़ना शुरू हो गया. उस समय दिल्ली का विकास इतनी तेजी से नहीं हो रहा था. दिल्ली कोलकता के मुकाबले बहुत पिछड़ी थी. इस शहर में व्यापार नाममात्र था. 

1772 में जब कलकत्ता को ब्रिटिश भारत की राजधानी घोषित कर दिया गया. भारत के ब्रिटिश गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने सभी अहम कार्यालयों को मुर्शिदाबाद से कलकत्ता में स्थानांतरित कर दिया. 1820 और 1930 के बीच राष्ट्रवाद का उदय देखा गया. इस समय लॉर्ड कर्जन ने 1905 में बंगाल का बंटवारा कर डाला. राजधानी कलकत्ता को 1911 में दिल्ली स्थानांतरित किया गया. पूर्व और पश्चिम बंगाल को दोबारा से मिला दिया गया.

दिल्ली को दोबारा से वि​कसित किया

12 दिसंबर 1911 में किंग जॉर्ज पंचम ने दिल्ली दरबार में इसकी आधारशिला रखी थी. इसके बाद ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर हरबर्ट बेकर और सर एडविन लुटियंस ने नए शहर को बसाना शुरू किया. इसके बाद 13 फरवरी 1931 को आधिकारिक रूप से दिल्ली देश की राजधानी बनी.