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Happy Birthday Azim Premji: आम-ओ-ख़ास से प्रेम कर बनते ही गए अज़ीम

Happy Birthday Azim Premji: कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus) से पैदा हुए अभूतपूर्व स्वास्थ्य और मानवीय संकट से मुकाबला करने के लिए 1,125 करोड़ रुपये दान किया है.

Updated on: 24 Jul 2020, 11:25 AM

नई दिल्ली:

Happy Birthday Azim Premji: देश की दिग्गज IT कंपनी विप्रो (Wipro) के पूर्व चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर और पद्म भूषण से सम्मानित अज़ीम प्रेमजी (Azim Premji) आज (24 जुलाई 2020) अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं. बता दें कि मौजूदा समय में कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus) से पैदा हुए अभूतपूर्व स्वास्थ्य और मानवीय संकट से मुकाबला करने के लिए 1,125 करोड़ रुपये दान किया है. विप्रो लिमिटेड (Wipro), विप्रो एंटरप्राइजेज लिमिटेड और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन (Azim Premji Foundation) ने कोरोना से लड़ाई में अपनी प्रतिबद्धता जताई है.

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अज़ीम प्रेमजी के बेटे रिशद प्रेमजी हैं कंपनी के चेयरमैन
विप्रो और फाउंडेशन की ओर जारी बयान में कहा गया है कि ये संसाधन महामारी के खिलाफ लड़ाई की सीमा में समर्पित चिकित्सा और सेवा बिरादरी को सक्षम बनाने और इस महामारी के व्यापक मानव प्रभाव को कम करने में मदद करेंगे. विप्रो लिमिटेड कंपनी 100 करोड़ रुपये देगी जबकि विप्रो एंटरप्राइजेज लिमिटेड 25 करोड़ रुपये और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन 1,000 करोड़ रुपये देगा. बता दें कि पिछले साल 30 जुलाई को अज़ीम प्रेमजी रिटायर हो गए थे और 31 जुलाई को उनके बेटे रिशद प्रेमजी ने कंपनी की कमान अपने हाथों में ले ली थी. बेटे रिशद प्रेमजी के कंपनी के चेयरमैन बनने के बाद अज़ीम प्रेमजी 5 साल तक गैर कार्यकारी निदेशक और संस्थापक चेयरमैन के रूप में निदेशक मंडल में रहेंगे. प्रेमजी का पूरा नाम अज़ीम हाशिम प्रेमजी है और उनकी पत्नी का नाम यासमीन प्रेमजी है.

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21 साल में संभाल ली थी कंपनी की कमान
अजीम प्रेमजी ने महज 21 साल की उम्र में कंपनी की कमान संभाल ली थी. प्रेमजी ने 53 साल में कंपनी का कारोबार 7 करोड़ से 12 हजार गुना बढ़ाकर 83 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया था. शुरुआती समय में वेजिटेबल ऑयल और साबुन का बिजनेस करने वाली विप्रो (Wipro) को आज IT, FMCG क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों में नाम आता है. प्रेमजी ने 1970 में साबुन और तेल का बिजनेस छोड़कर सॉफ्टवेयर में हाथ आजमाया. गौरतलब है कि अज़ीम प्रेमजी को वर्ष 1999 से लेकर 2005 तक भारत के सबसे धनी व्यक्ति का दर्जा रहा.

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फोर्ब्स द्वारा दिसंबर 2019 में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 में प्रेमजी एशिया के सबसे बड़े दानवीरों की सूची में पहले पायदान पर थे. 2019 में प्रेमजी ने विप्रो के 7.6 अरब डॉलर के शेयर को शिक्षा के लिए समर्पित अपने फाउंडेशन को दान में दे दिया था.

साधारण परिवार में हुआ था प्रेमजी का जन्म
अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई के साधारण बिजनेसमैन मोहम्मद हाशिम प्रेमजी के घर हुआ था. पिता का वेजिटेबल ऑयल और साबुन का बिजनेस था. प्रेमजी के पिता मुहम्मद हाशिम प्रेमजी एक प्रसिद्ध व्यवसायी होने के साथ ही 'राइस किंग ऑफ बर्मा' के नाम से जाने जाते थे. साल 1945 में हाशिम प्रेमजी ने महाराष्ट्र के जलगांव जिले में 'वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड' कंपनी की स्थापना की था. इस कंपनी में सनफ्लावर वनस्पति ऑयल और कपड़े धोने के साबुन का निर्माण होता था. 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद मोहम्मद अली जिन्ना ने हाशिम प्रेमजी को पाकिस्तान में बसने और वित्त मंत्री बनाने की पेशकश भी की थी, लेकिन हाशिम प्रेमजी ने जिन्ना की पेशकश को ठुकराकर भारत में रहने का निर्णय लिया था. मान लीजिए कि अगर उस समय अज़ीम प्रेमजी के पिता ने जिन्ना के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया होता तो आज देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में शुमार विप्रो पाकिस्तान में होती. अज़ीम प्रेमजी ने 1980 में IT कंपनी Wipro की शुरुआत की थी.

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अपनी संपत्ति का काफी बड़ा हिस्सा कर चुके हैं दान
प्रेमजी ने अप्रैल 2013 में कहा था कि वे अपनी व्यक्तिगत संपत्ति का 25 फीसदी से अधिक हिस्सा जनहित के लिए दान कर चुके हैं. यही नहीं जुलाई 2015 में भी प्रेमजी ने विप्रो में अपनी हिस्सेदारी का अतिरिक्त 18 फीसद हिस्सा दान कर दिया था.