Ramanand Sagar Birthday : पाकिस्तान से आए रामानंद सागर ने रामायण बनाकर रच दिया इतिहास, जानें कैसे ट्रक क्लीनर से बन गए डायरेक्टर
इस रामायण सीरियल को देखने वाले करोड़ों दर्शक हैं. इसमें कोई शक नहीं कि रामानंद सागर ने एक अद्भुत धारावाहिक बनाया, जो आज भी लोगों के दिलों पर राज करता है.
नई दिल्ली:
कुछ साल पहले जब हर घर में टेलीविजन नहीं होता था तो एक अलग ही नजारा देखने को मिलता था. वह दृश्य छोटे शहरों और गांवों के चौराहों पर देखने को मिलता था. फिर रामानंद सागर के रामायण धारावाहिक की प्रस्तुति शुरू होती थी और हर व्यक्ति उस धारावाहिक में ऐसे डूब जाता था कि मानो सामने भगवान श्रीराम ही प्रकट हो गए. आज भी इस रामायण सीरियल को देखने वाले करोड़ों दर्शक हैं. इसमें कोई शक नहीं कि रामानंद सागर ने एक अद्भुत धारावाहिक बनाया, जो आज भी लोगों के दिलों पर राज करता है.
क्या है रामानंद सागर की कहानी?
आज 29 दिसंबर को भारत के सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, लेखक, निर्माता और पटकथा लेखक रामानंद सागर का जन्मदिन है. इस खास मौके पर देश के कई हिस्सों में लोग उन्हें याद कर रहे हैं. आपको बता दें कि उनका निधन 12 दिसंबर 2005 को हुआ था. रामानंद सागर का जन्म 19 दिसंबर 1917 को लाहौर, पाकिस्तान में हुआ था.
रामानंद का असली नाम चंद्रमौली चोपड़ा था. ये नाम उन्हें उनकी नानी ने दिया था. साल 1947 के बंटवारे के बाद उनका परिवार इंडिया आ गया था लेकिन इस दौरान उनके परिवार की माली हालत एकदम खराब हो गई. परिवार का सहारा बनने के लिए उन्होंने काम कर दिया. कई लोग दावा करते हैं कि वो ट्रक क्लीनर और चपरासी की नौकरी की थी.
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परिवार मुंबई में हो गया शिफ्ट
कुछ सालों के बाद उनका परिवार जीविकोपार्जन के लिए मुंबई आ गया, जहां से उनकी किस्मत बदल गई. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने मुख्य रूप से एक लेखक के रूप में काम किया. वह उस दौरान कहानियां और पटकथाएं लिखते थे. इस दौरान उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से एक अलग पहचान बनाई. उन्होंने सागर कॉर्पोरेशन प्रोडक्शन कंपनी शुरू की. इसके बाद वह नहीं रुके.
रामायण शुरू होते ही सड़कों पर कर्फ्यू जैसा माहौल
इस प्रोडक्शन के तहत 25 जनवरी 1987 को रामायण शो शुरू किया गया. इस सीरियल को शूट करने में एक साल का समय लगा था. इस शो को दूरदर्शन पर जगह मिली और 45 मिनट का स्लॉट मिला जबकि उस दौरान सभी सीरियल्स को सिर्फ 30 मिनट का ही स्लॉट मिला करता था. लोग कहते हैं कि जब रामायण का प्रसारण हुआ था तो सड़कों पर कर्फ्यू जैसी स्थिति हो जाती थी.
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