जिन्ना भी थे एयर इंडिया के मुरीद, पाकिस्तान बनने से सिर्फ 5 महीने पहले खरीदे 500 शेयर
दिसंबर तक एयर इंडिया टाटा समूह का हिस्सा बन सकती है. एयर इंडिया के लिए यह घर वापसी इसलिए है कि 70 साल पहले यह टाटा ग्रुप में ही शामिल थी. टाटा ग्रुप की इस कंपनी में शेयर लेना तब प्रतिष्ठा की बात समझी जाती थी और इससे बड़े मुनाफे की उम्मीद भी रहती थी.
New Delhi:
टाटा समूह अगर एयर इंडिया को खरीदने में सफल रहता है, तो यह महाराजा की 70 साल बाद घर वापसी होगी. बताया जाता है कि टाटा ने एयर इंडिया के लिए सबसे ज्यादा बोली लगाई है और मंत्रियों के एक पैनल ने एयरलाइन के अधिग्रहण के प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया है. इस संबंध में अभी कोई आधिकारिक घोषणा अभी नहीं आई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि दिसंबर तक एयर इंडिया टाटा समूह का हिस्सा बन सकती है. एयर इंडिया के लिए यह घर वापसी इसलिए है कि 70 साल पहले यह टाटा ग्रुप में ही शामिल थी. टाटा ग्रुप की इस कंपनी में शेयर लेना तब प्रतिष्ठा की बात समझी जाती थी और इससे बड़े मुनाफे की उम्मीद भी रहती थी. पाक संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने भी इसके शेयर खरीदे थे, वो भी तब जब पाकिस्तान का निर्माण करीब-करीब सुनिश्चित हो चुका था.
एयर इंडिया का संक्षिप्त इतिहास
सन 1932 में टाटा एयर सर्विसेज की स्थापना भारत के महान उद्योगपति जेआरडी टाटा ने की थी. आगे चलकर यही कंपनी टाटा एयरलाइंस के नाम से प्रसिद्ध हुई. आजादी के बाद 1953 में टाटा एयरलाइंस का भारत सरकार ने अधिग्रहण कर लिया और यह एयर इंडिया के नाम से मशहूर हो गई. अब पैनल ऑफ मिनिस्टर्स के हरी झंडी दिखाने के बाद एक बार फिर एयर इंडिया टाटा ग्रुप में शामिल हो सकती है.
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जिन्ना ने क्यों खरीदे टाटा एयरलाइन्स के शेयर
आजादी से पहले भी एयर इंडिया एक बेहद आकर्षक और प्रतिष्ठित कंपनी मानी जाती थी. ऐसी कंपनियों के शेयर खरीदना भारत के धनी वर्ग के लिए तब गर्व की बात थी. यहां तक कि पाकिस्तान की स्थापना करने वाले जिन्ना भी इसके आकर्षण से नहीं बचे थे. ब्रिटिश भारत का बंटवारा निश्चित हो जाने के बाद जब उन्होंने भारत में स्थित अपनी तमाम संपत्तियां बेचने के प्रयास शुरू कर दिए, यहां के बैंकों से अपना धन निकाल लिया, तब भी उन्होंने एयर इंडिया के 500 शेयर खरीदे.
उद्योगपति मित्रों की सलाह पर किया होगा निवेश
दरअसल जिन्ना की गिनती भारत के धनी लोगों में होती थी, तमाम बड़े उद्योगपति उनके मित्र थे और निवेश को लेकर वह बहुत सचेत रहते थे. उन्होंने आजादी से पहले भारत की अनेक कंपनियों के शेयरों में मोटी रकम लगा रखी थी, लेकिन पाकिस्तान बनने की उम्मीद होते ही, उन्होंने यहां से पैसा निकालना शुरू कर दिया और जल्द ही मुंबई औऱ अन्य जगहों पर स्थित बैंकों के अपने खाते बंद करा दिए. ऐसे हालात में भी जब उद्योगपति मित्रों के साथ बातचीत में उन्हें टाटा एयरलाइन्स के शेयर के बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने अपने शेयर ब्रोकर से संपर्क साधा. मार्च 1947 में, यानी कि भारत की आजादी से सिर्फ पांच महीने पहले उनका टाटा एयरलाइन्स के शेयर खरीदना यही सिद्ध करता है कि उन्हें इस कंपनी पर बहुत भरोसा था और वह इन शेयरों को अपने पास रखना चाहते थे.
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