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नासा ने खोज निकाला भारत का 'लापता' चंद्रयान-1, चंद्रमा की परिक्रमा करता पाया गया

भारत का पहला चंद्र मिशन यानि चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान अभी भी चंद्रमा का परिक्रमा कर रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी है।

Updated on: 10 Mar 2017, 09:12 PM

नई दिल्ली:

भारत का पहला चंद्र मिशन यानि चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान अभी भी चंद्रमा का परिक्रमा कर रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी है। नासा के वैज्ञानिकों को अंतरग्रही राडार की नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से इसका पता चला है। इस चंद्रयान को सामान्य रूप से गायब मान लिया गया था।

बता दें कि चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को छोड़ा गया था और मुश्किल से साल भर बाद ही 29 अगस्त 2009 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का इससे संपर्क टूट गया था। वैज्ञानिकों ने कहा है कि चंद्रयान-1 चंद्रमा की सतह से करीब 200 किलोमीटर ऊपर अभी भी चक्कर लगा रहा है।

वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-1 को पाए जाने के अलावा चंद्रमा के चारों तरफ नासा के चंद्र निगरानी अंतरिक्ष यान (लुनर रिकानिसंस आर्बिटर) के होने का भी संकेत दिया है।

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नासा के पासाडेना में जेट प्रणोदन प्रयोगशाला के एक रडार वैज्ञानिक ने कहा, 'हम नासा के लुनर रिकानिसंस आर्बिटर (एलआरओ) और इसरो के चंद्रयान-1 अंतरिक्षयान की चंद्रमा की कक्षा में जमीन पर स्थित रडार से पहचान करने में सक्षम रहे हैं।'

ब्रोजोविक ने गुरुवार के नासा के बयान में कहा, 'एलआरओ को खोजना आसान था, क्योंकि हम मिशन नेविगेटर के साथ काम कर रहे थे और हमारे पास इसकी कक्षीय स्थिति से जुड़े आकंड़े थे। इसकी तुलना में भारतीय चंद्रयान-1 की पहचान करने में थोड़ा ज्यादा कार्य करना पड़ा, क्योंकि अंतरिक्षयान से अगस्त 2009 में संपर्क टूट गया था।'

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पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित स्थान और अंतरिक्ष मलबे का पता लगाना एक प्रौद्योगिकी चुनौती हो सकती है। इन वस्तुओं का पृथ्वी के चंद्रमा के चारों ओर की कक्षा में पता लगाना और भी ज्यादा कठिन है।

चंद्रमा की चमक में छिपी छोटी वस्तुओं का पता लगाने में ऑप्टिकल दूरबीन असमर्थ हैं। हालांकि, अंतरग्रही राडार की नई प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों से जेपीएल के वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक चंद्रमा का चक्कर लगा रहे दो अंतरिक्ष यानों की स्थिति का पता लगा लिया।