Chandrayaan-3 mission: भारत रचेगा इतिहास! पूरी तरह से तैयार है मिशन 'चंद्रयान-3'... ये है खुफिया प्लानिंग
भारत चंद्रयान-3 लाॅन्च करने जा रहा है. इसरो ने इसे लेकर पूरी तैयारी कर दी है. इस बार भारत के चंद्र मिशन में कोई चूक न हो, इसके लिए चंद्रयान-3 को असंख्य विफलताओं के लिए खास तरह से डिज़ाइन किया गया है.
नई दिल्ली:
14 जुलाई को दुनिया देखेगी भारत की ताकत! चंद्रयान-3 के जरिए हमारा देश नया कीर्तिमान रचने को तैयार है. शुक्रवार को पूरी दुनिया इस ऐतिहासिक लम्हे की चश्मदीद रहेगी. भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO मिशन 'चंद्रयान-3' के लिए पूरी तरह तैयार है. इस बार भारत के चंद्र मिशन में कोई चूक न हो, इसके लिए चंद्रयान-3 को असंख्य विफलताओं के लिए खास तरह से डिज़ाइन किया गया है. ये मिशन सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी अहम है. ऐसे में इसकी तैयारियों को लेकर खुद इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ कई जानकारियां दे रहे हैं...
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने इस बार में कई बाते बताई हैं. उनके मुताबिक भारत की अंतरिक्ष एजेंसी के इंजीनियर, श्रीहरिकोटा से शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे चंद्रयान-3 की लाॅन्चिंग से पहले, कई तरह की गलती या विफलताओं की तलाश में है, ताकि तय समय पर उनसे निपटा जा सके. उनके मुताबिक चंद्रयान-3 को सफलता-आधारित डिज़ाइन के बजाय, विफलता-आधारित डिज़ाइन के तौर पर डेवलप किया गया है, ताकि इसके लाॅन्चिंग के पहले और बाद में आने वाली किसी भी तरह की परेशानी को पूरी तरह से खत्म किया जा सके. इसी के मद्देनजर चंद्रयान-3 में सेंसर, इंजन, एल्गोरिदम या गणना सभी को ठीक तरह से क्रोसचेक किया जा रहा है.
Chandrayaan-3 mission:
— ISRO (@isro) July 11, 2023
The ‘Launch Rehearsal’ simulating the entire launch preparation and process lasting 24 hours has been concluded.
Mission brochure: https://t.co/cCnH05sPcW pic.twitter.com/oqV1TYux8V
गौरतलब है कि इसरो का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3, 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग कर सकता है. इस चंद्रयान-3 के साथ एक लैंडर और एक रोवर है. दोनों एक चंद्र दिवस - 14 पृथ्वी दिवस के लिए वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए पेलोड से भरे हुए हैं।
चंद्रयान-2 की गलतियों से सीख रहे हैं...
बता दें कि चार साल पहले सितंबर 2009 में चंद्रयान-2 को ठीक ढंग से लाॅन्च किया गया था, वो चंद्रमा तक पहुंच भी गया था, लेकिन अंतिम अवतरण के दौरान कुछ गलतियों की वजह से वो चंद्रमा से टकरा गया. इन्हींं गलतियों को ध्यान में रखते हुए चंद्रयान-3 को डिजाइन किया गया है. साथ ही किसी भी तरह की विफलताओं से बचने के लिए इसमें कई तरह के बदलाव भी किए गए हैं. चंद्रयान-2 में हुई गलतियों पर इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने भी कुछ जानकारी दी है, उनके मुताबिक चंद्रयान-2 लैंडर सही ढंग से चांद तक पहुंच गया था, मगर उसके उतरने के दौरान, इसके वेग को कम करने के लिए डिज़ाइन किए गए इंजनों ने अपेक्षा से अधिक जोर दे दिया, जिस वजह से कुछ फॉल्ट के बाद ये क्रैशलैंड कर गया.
ऐसे में अब चंद्रयान-3 में लैंडिंग ज़ोन को 4.0 किमी गुणा 2.5 किमी तक विस्तारित कर दिया गया है, जो पिछले चंद्रयान-2 मिशन की तुलना में 40 गुना तक बड़ा है, ताकि ये चांद की किसी तरह की सतह पर भी आराम से लैंडिंग कर सकता है. साथ ही इसमें पहले के मुकाबले ज्यादा ईंधन भरा गया है, ताकि चंद्रयान-3 को वैकल्पिक लैंडिंग साइटों पर जाने में कोई भी परेशानी न हो.
चंद्रयान-1 की बड़ी सफलता...
साल 2008 में लॉन्च हुआ चंद्रयान-1 ने बड़ी सफलता हासिल की थी. चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी के अणुओं के हस्ताक्षर का पता लगाने में काफी ज्यादा सहायक भूमिका निभाई थी.
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