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Shri Durga Chalisa: दु्र्गा चालीसा यहां पूरी पढ़ें, जानें इसे पढ़ने का धार्मिक महत्व और लाभ 

Shri Durga Chalisa: दुर्गा चालीसा एक भक्तिमय स्तोत्र है जो देवी दुर्गा को समर्पित है. यह हिंदुओं के बीच सबसे लोकप्रिय स्तोत्रों में से एक है. माना जाता है कि दुर्गा चालीसा का पाठ करने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

Updated on: 09 Apr 2024, 11:40 AM

नई दिल्ली :

Shri Durga Chalisa: दुर्गा चालीसा एक प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक पाठ है जो मां दुर्गा की महिमा और महाकाव्यता का वर्णन करता है. यह पाठ मां दुर्गा की पूजा और भक्ति में उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए किया जाता है. दुर्गा चालीसा का पठन भक्तों को शक्ति, साहस, और उत्तम भावनाओं की प्राप्ति में मदद करता है और उन्हें आध्यात्मिक सुधार और सफलता की प्राप्ति में सहायक होता है. दुर्गा चालीसा पढ़ने का महत्व बहुत उच्च है. यह चालीसा माँ दुर्गा की महात्म्य को व्यक्त करती है और उनकी कृपा को प्राप्त करने में सहायक होती है. ध्यान और श्रद्धा से इसे पढ़ने से मानव जीवन में शांति, समृद्धि, और सुख की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, दुर्गा चालीसा पढ़ने से मनुष्य की आत्मा को शक्ति, साहस, और उत्तम भावनाएं प्राप्त होती हैं. इसे नियमित रूप से पढ़ने से भक्त का मन परिशुद्ध होता है और उसे अपने जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है.

नमो नमो दुर्गे सुख करनी.
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी.
तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला.
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे.
दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना.
पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला.
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी.
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें.
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा.
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा.
परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो.
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं.
श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा.
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी.
महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता.
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी.
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी.
लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै.
जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला.
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत.
तिहुँलोक में डंका बाजत॥

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे.
रक्तन बीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी.
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा.
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब.
भई सहाय मातु तुम तब तब॥

आभा पुरी अरु बासव लोका.
तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी.
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें.
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई.
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी.
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो.
काम क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को.
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो.
शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी.
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा.
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो.
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें.
रिपु मुरख मोही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी.
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करो कृपा हे मातु दयाला.
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला..

जब लगि जियऊं दया फल पाऊं.
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै.
सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी.
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

॥इति श्रीदुर्गा चालीसा सम्पूर्ण॥

जय माता दी

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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