Navratri 2018: नवरात्रि में होती है मां स्कंदमाता की पूजा, जानें विधि और मंत्र
देवी मां का पांचवां रूप स्कंदमाता के नाम से प्रचलित्त है. भगवान् कार्तिकेय का एक नाम स्कन्द भी है जो ज्ञानशक्ति और कर्मशक्ति के एक साथ सूचक है.
नई दिल्ली:
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं और व्रत त्योहारों में नवरात्र को सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है और हमारे देश में हिन्दू समुदाय के लोग इसे लगभग पूरे देश बड़े धूमधाम से मनाते हैं.
बुद्धिमता, ज्ञान की देवी : मां स्कंदमाता
देवी मां का पांचवां रूप स्कंदमाता के नाम से प्रचलित्त है भगवान् कार्तिकेय का एक नाम स्कन्द भी है जो ज्ञानशक्ति और कर्मशक्ति के एक साथ सूचक है स्कन्द इन्हीं दोनों के मिश्रण का परिणाम है स्कन्दमाता वो दैवीय शक्ति है जो व्यवहारिक ज्ञान को सामने लाती है – वो जो ज्ञान को कर्म में बदलती हैं
शिव तत्व आनंदमय, सदैव शांत और किसी भी प्रकार के कर्म से परे का सूचक है देवी तत्व आदिशक्ति सब प्रकार के कर्म के लिए उत्तरदायी है ऐसी मान्यता है कि देवी इच्छा शक्ति, ज्ञान शक्ति और क्रिया शक्ति का समागम है जब शिव तत्व का मिलन इन त्रिशक्ति के साथ होता है तो स्कन्द का जन्म होता है स्कंदमाता ज्ञान और क्रिया के स्रोत, आरम्भ का प्रतीक है| इसे हम क्रियात्मक ज्ञान अथवा सही ज्ञान से प्रेरित क्रिया, कर्म भी कह सकते हैं.
या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
प्रायः ऐसा देखा गया की है कि ज्ञान तो है किंतु उसका कुछ प्रयोजन या क्रियात्मक प्रयोग नहीं होता किन्तु ज्ञान ऐसा भी है जिसका ठोस प्रोयोजन, लाभ है जिसे क्रिया द्वारा अर्जित किया जाता है आप स्कूल, कॉलेज में भौतिकी, रसायन शास्त्र पड़ते हैं जिसका प्रायः आप दैनिक जीवन में कुछ अधिक प्रयोग करते और दूसरी ओर चिकित्सा पद्धति, औषधि शास्त्र का ज्ञान दिन प्रतिदिन में अधिक उपयोग में आता है जब आप टेलीविज़न ठीक करना सीख जाते हैं तो अगर कभी वो खराब हो जाए तो आप उस ज्ञान का प्रयोग कर टेलीविज़न ठीक कर सकते हैं इसी तरह जब कोई मोटर खराब हो जाती है तो आप उसे यदि ठीक करना जानते हैं तो उस ज्ञान का उपयोग कर उसे ठीक कर सकते हैं इस प्रकार का ज्ञान अधिक व्यवहारिक ज्ञान है अतः स्कन्द सही व्यवहारिक ज्ञान और क्रिया के एक साथ होने का प्रतीक है स्कन्द तत्व मात्र देवी का एक और रूप है.
और पढ़ें: नवरात्रि 2018 : यहां पढ़ें देवी दुर्गा के नौ रूपों की
हम अक्सर कहते हैं कि ब्रह्म सर्वत्र, सर्वव्यापी है, किंतु जब आपके सामने अगर कोई चुनौती या मुश्किल स्थिति आती है, तब आप क्या करते हैं तब आप कौनसा ज्ञान प्रयोग में लाएंगे? समस्या या मुश्किल स्थिति में आपको क्रियात्मक होना पड़ेगा अतः जब आपका कर्म सही व्यवहारिक ज्ञान से लिप्त होता है तब स्कन्द तत्व का उदय होता है और देवी दुर्गा स्कन्द तत्व की माता हैं.
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