Maha Shivratri 2019: महाशिवरात्रि पर पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग के जलाभिषेक का जानें क्या है खास महत्व
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के बाद चतुर्दशी को महाशिवरात्री का पर्व मनाया जाता है
नई दिल्ली:
आज महाशिवरात्रि (Mahashivratri) है देवघर स्थित पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग पर आज जलार्पण का खास महत्व है. यही वजह है कि आज लाखों की संख्या में श्रद्धालू बाबा धाम पहुँच कर बाबा का जलाभिषेक कर रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि इस पा वन अवसर पर पवित्र ज्योतिर्लिंग के जलाभिषेक से मनवांच्छित फलों की प्राप्ति होती है. खासकर महिलायें आज बड़ी संख्या में बाबा का जलाभिषेक करने मंदिर पहुँचती हैं.
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फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी उपरान्त चतुर्दशी को महाशिवरात्री का पर्व मनाया जाता है, आज के दिन भगवान् भोलेनाथ का विवाहोत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है. देवघर स्थित विश्व प्रसिद्द द्वादश ज्योतिर्लिंग पर जलार्पण का आज ख़ास महत्व होता है. कामना लिंग होने के कारण ऐसी मान्यता है कि आज बाबा की पूजा अर्चना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भोलेनाथ के विवाह का अवसर होने के कारण आज मंदिर में मुकुट चढ़ाने की भी अति प्राचीन परंपरा है.
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पंडित-तीर्थ पुरोहित,देवघर की जानकारों की मानें तो हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुरे वर्ष में चार महारात्री होती हैं जिनमे से महाशिवरात्रि भी एक है. ऐसी मान्यता है कि आज भगवान भोलेनाथ दूल्हा बनते हैं और आज उनसे जो भी मनोकामना की जाती है वह अवश्य ही पूरी होती है. देवघर में इस अवसर पर बाबा की आकर्षक बारात भी निकाली जाती है जिसमे देवी-देवताओं के साथ, भूतनाथ की बारात होने के कारण दैत्य ,राक्षस, गंधर्व सहित भूत-प्रेतों को भी शामिल किया जाता है. धरती पर देवलोक का एहसास कराने वाली इस अनोखी बारात में शामिल होने देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालू देवघर पहुँचते हैं.
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तीर्थ पुरोहित देवघर दिवाकर मिश्रा का कहना है कि महाशिवरात्रि के अवसर पर पुरे मंदिर परिसर को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है. रात्रि बारात आगमन के बाद पुरे वैदिक रीति-रिवाज़ के साथ चतुश्प्रहर पूजा की जाती है जिसका पूरी श्रद्धा के साथ श्रद्धालूओं द्वारा रात्री जागरण कर आनंद उठाया जाता है.
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