बरसाने-नंदगांव में धूमधाम से खेली गई लठमार होली, जानें इसका पूरा इतिहास
बरसाने और नंदगांव में लठमार होली धूमधाम से खेली गई. इसके लिए नंदगांव से सखा बरसाने आए और बरसाने की गोपियों ने उन पर लाठियां बरसाई.
नई दिल्ली:
पूरे देश में होली (Holi 2020) की धूम है. इस बार होली महोत्सव 10 मार्च को मनाया जा रहा है. होली के रंग में सब डूब गए हैं. मथुरा और काशी की होली का महत्व ही कुछ और है. भगवान कृष्ण की नगरी में काफी धूमधाम से होली मनाई जाती है. बरसाने और नंदगांव में लठमार होली धूमधाम से खेली गई. इसके लिए नंदगांव से सखा बरसाने आए और बरसाने की गोपियों ने उन पर लाठियां बरसाई.
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लट्ठमार होली (Lathmar Holi) के बाद अब रंगभरनी एकादशी पर वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में फूलों से होल खेली जाएगी. हुरियारे यानी होली खेलने वालों की टोली यशोदा कुंड पहुंची. फिर सिर पर पगड़ी बांधकर मैदान में उतर गए, लेकिन हुरियारिनों ने उन पर लाठियां बरसा दीं. लाठियों का सामना करने के बाद होली खेलने वालों की टोली नंदभवन पहुंची. टोली के लोगों ने हुरियारिनों के पैर छूकर हंसी ठिठोली के लिए क्षमा मांगी.
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इस वजह से मनाई जाती है लठमार होली
इस परंपरा के बारे में कहा जाता है कि कन्हैया नंदगांव से अपनी मित्र मंडली के साथ होली खेलने बरसाना जाते थे. वो राधा व उनकी सखियों से हंसी ठिठोली करते थे, तो राधा व उनकी सखियां नन्दलाल और उनकी टोली (हुरियारे) पर प्रेम भरी लाठियां बरसाती थीं.
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यहां-यहां खेली जाती है लट्ठमार होली
बरसाना के साथ ही मथुरा, वृंदावन, नंदगांव में भी इसी प्रकार परंपरागत होली खेली जाती है. होली की मस्ती महिलाएं हाथ में लाठियां लेकर पुरुषों को पीटना शुरू कर देती हैं और पुरुष खुद को बचाने के लिए इधर-उधर भागते हैं.
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इसी वजह से हर साल होली के दौरान बरसाना और वृंदावन में लट्ठमार होली खेली जाती है. पहले नंदगांव के लड़के या आदमी यानी ग्वाले कमर पर फेंटा लगाकर बरसाना की महिलाओं के साथ होली खेलने पहुंचते हैं, वहीं, अगले दिन यानी दशमी पर बरसाने के ग्वाले नंदगांव में होली खेलने पहुंचते हैं, यह होली बड़े ही प्यार के साथ बिना किसी को नुकसान पहुंचाए खेली जाती है. लेकिन खास बात ये औरतें अपने गांवों के पुरुषों पर लाठियां नहीं बरसातीं हैं. वहीं, बाकी आसपास खड़े लोग बीच-बीच में रंग जरूर उड़ाते हैं.
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