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Char Dham Temples: ब्रद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, द्वारकाधीश और रामेश्वरम... ये हैं भारत के 4 धाम, जानें इनका महत्त्व

Char Dham Mandir: हिंदू धर्म तीर्थस्थलों में चार धाम यात्रा का बहुत महत्त्व. ये सभी धाम भारत की अलग-अलग दिशाओं में बसे हैं. आइए जानते हैं इनका महत्त्व

Updated on: 07 Sep 2023, 04:17 PM

नई दिल्ली:

Char Dham Temples: भारत में चार दिशाओं में चार धाम बसे हैं. इनके दर्शन मात्र से सारे पाप धुल जाते हैं और कहते हैं कि आप जिस भी मनोकामना से यहां जाते हैं वो जरुर पूरी होती है. भारत के उत्तर दिशा में बद्रीनाथ धाम है तो दक्षिण दिशा में रामेश्वरम धाम है. पूर्व दिशा में जगन्नाथ पुरी मंदिर है और पश्चिम दिशा में स्थित है द्वारिकाधीश. मान्यताओं के अनुसार जो भी चारधाम यात्रा करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. जीवन में उसे कभी कोई कष्ट नहीं होता. सारे सुख भोगता है और प्रभु के आशीर्वाद से कभी परेशान नहीं होता. तो आइए जानते हैं हर धाम का खास महत्त्व 

बद्रीनाथ धाम 

देवों की भूमि उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम बना है. कहते हैं अलकनंदा नदी के किनारे पर बने ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. इसे सतयुग का पावन धाम माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान राम ने की थी. 
बद्रीनाथ धाम को लेकर एक कहावत भी प्रचलिक है - 'जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी' इस कहावत का अर्थ है जो भी व्यक्ति बद्रीनाथ धाम पर आकर भगवान विष्णु के दर्शन कर लेता है उसे दोबारा गर्भ में नहीं आना पड़ता अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. 
शास्त्रों के अनुसार बद्रीनाथ धाम की यात्रा जीवन में 2 बार जरुर करनी चाहिए. अगर आप यहां जाने की सोच रहे हैं तो बता दें ये मंदिर 6 महीने ही खुलता है और 6 महीने भगवान विश्राम करते हैं तो आप अप्रैल या मई के महीने से नवंबर तक यहां जा सकते हैं. 

जगन्नाथ पुरी 

भारत के पूर्व दिशा में बसे जगन्नाथ पुरी धाम को चमत्कारी धाम भी कुछ लोग कहते हैं. यहां के रहस्यों और भगवान के चमत्कार के सामने वैज्ञानिकों ने भी घुटने टेक दिए हैं. जगन्नाथ पुरी का अर्थ होता है जगत का स्वामी. भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित इस मंदिर में हर साल रथयात्रा का महाउत्त्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. 
इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं. कहते हैं हर साल लकड़ी से बनीं भगवान की प्रतिमा को जब बदला जाता है तो पुजारी की आंखो पर पट्टी बांध देते हैं क्योंकि भगवान कृष्ण का दिल इसी मंदिर में है और मुर्ति को बदलते समय उसे नयी मुर्ति में रखते हैं जिसे आज तक किसी ने नहीं देखा लेकिन इसे महसूस करने वाले पुजारियों ने कहा कि वो धड़कता है ऐसा महसूस होता है जैसे हाथ में कुछ चल रहा है कोई खरगोश जैसा बताता है. 
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथयात्रा निकाली जाती है ऐसे में आप अगर इस दौरान यहां दर्शन के लिए जाएंगे तो आपको अद्भूत नज़ारे देखने को मिलेंगे. 

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रामेश्वरम धाम

भारत के दक्षिण में स्थित रामेश्वरम में हर साल लाखों श्रद्धालू यहां आते हैं. तमिलनाडु में रामनाथपुरम जिले में समुद्र के किनारे हिंदुओं का ये तीसरा धाम स्थित है. ये मंदिर हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ है ऐसे में जब आप यहां दर्शन के लिए जाते हैं तो यहां के नज़ारे जीवनभर अपनी यादों में बसाकर साथ ले आते हैं. रामेश्वरम 12 ज्योतिर्लिंगों में से भी एक माना जाता है. ये वही जगह है जहां राम ने वानर सेना के साथ पत्त्थों के सेतु का निर्माण किया था. 

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द्वारकाधीन मंदिर 

भारत की पश्चिम दिशा में बना भगवान श्रीकृष्ण का द्वारकाधीश मंदिर चार धामों में से एक है. ये समुद्र किनारे पर ही बना हुआ है कहते हैं कि असली द्वारका समुद्र में ही समा चुका है ये तो अंश मात्र बचा है. द्वारका के मंदिर में जब आप दर्शन करने जाते हैं तो यहां पर एक लंबा ताल है जिसे गोमती तालाब कहा जाता है. इसमें भी नौ घाट हैं जिसमें एक-एक कर दर्शन करने आए श्रद्धालू स्नान करते हैं और अपनी तीर्थ यात्रा पूरी करते हैं. 

तो आप भी अगर इन चार धाम यात्रा पर जाने का प्लान बना रहे हैं तो आप सही समय पर जाएं. 

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