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Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि में जरूर लगाएं आलता जानें हिंदू धर्म में इसका महत्व

Chaitra Navratri 2024: अल्ता, जिसे महावर के नाम से भी जाना जाता है, एक लाल पाउडर या तरल है जिसे भारतीय महिलाएं सदियों से अपने पैरों और हाथों पर लगाती हैं. यह सिर्फ एक कॉस्मेटिक वस्तु नहीं है, बल्कि हिंदू धर्म में इसका गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है.

Updated on: 12 Apr 2024, 03:32 PM

नई दिल्ली :

Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि के दौरान, महिलाएं अपने हाथों और पैरों में आलता लगाती हैं. यह सिंदूर की तरह ही एक लाल रंग है, जो सुहाग का प्रतीक माना जाता है. आलता लगाने का धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों महत्व है. मां दुर्गा को शक्ति और पराक्रम की देवी माना जाता है. लाल रंग शक्ति और साहस का प्रतीक है, इसलिए आलता लगाकर महिलाएं मां दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करती हैं. हिंदू धर्म में लाल रंग को सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. नवरात्रि के दौरान विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए आलता लगाती हैं. आलता स्त्रीत्व और सौंदर्य का प्रतीक भी है. नवरात्रि के दौरान युवा महिलाएं अपनी शोभा और आकर्षण बढ़ाने के लिए आलता लगाती हैं. मां पार्वती को मां दुर्गा का ही स्वरूप माना जाता है. लाल रंग मां पार्वती को भी प्रिय है, इसलिए नवरात्रि के दौरान महिलाएं मां पार्वती के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करने के लिए आलता लगाती हैं.

धार्मिक महत्व

देवी दुर्गा को लाल रंग पसंद है, इसलिए नवरात्रि में आलता लगाकर हम देवी दुर्गा की पूजा करते हैं. आलता को माता लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है. नवरात्रि के दौरान आलता लगाने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. इस दौरान, उनके हाथों से लाल रंग बहने लगा, जिसे आलता कहा जाता है. माना जाता है कि नवरात्रि में आलता लगाने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सुहाग का वरदान देती हैं.

सांस्कृतिक महत्व

आलता पंजाब की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. पंजाब में विवाह के बाद नई नवेली दुल्हन को सास द्वारा पहली बार आलता लगाया जाता है. नवरात्रि के दौरान आलता लगाने से विवाहित महिलाएं अपने सुहाग के प्रति प्रेम और निष्ठा व्यक्त करती हैं. हिंदू धर्म में लाल रंग को स्त्रीत्व और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. नवरात्रि के दौरान महिलाएं अपने हाथों और पैरों में आलता लगाकर मां दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति और स्त्रीत्व का प्रतीक दर्शाती हैं. आलता को पतिव्रता का प्रतीक भी माना जाता है. नवरात्रि के दौरान सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए आलता लगाती हैं.

वैज्ञानिक महत्व

आलता में औषधीय गुण होते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं. यह रक्त संचार को बढ़ाने, नाखूनों को मजबूत बनाने और त्वचा को कोमल बनाने में मदद करता है. लाल रंग को उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. नवरात्रि के दौरान आलता लगाने से महिलाओं में आत्मविश्वास और सकारात्मकता बढ़ती है. 

आलता लगाने के अन्य फायदे

आलता में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ और मुलायम बनाते हैं. यह रक्त संचार को बेहतर बनाने में भी मदद करता है. आलता नाखूनों को मजबूत बनाने और टूटने से बचाने में भी मदद करता है. 

आलता लगाने की विधि: आलता को पानी में मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें. एक पतले ब्रश की मदद से आलता को अपने हाथों और पैरों की उंगलियों पर लगाएं. आलता को सूखने दें और फिर पानी से धो लें. नवरात्रि के दौरान आलता लगाकर आप देवी दुर्गा की पूजा कर सकती हैं और अपनी सुंदरता बढ़ा सकती हैं.

नवरात्रि के दौरान महिलाएं अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने के लिए आलता लगाती हैं. लाल रंग को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है. नवरात्रि के दौरान आलता लगाकर महिलाएं अपने जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने की कामना करती हैं. इस प्रकार, नवरात्रि में आलता लगाने का महत्व धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. यह महिलाओं की भक्ति, श्रद्धा, सुहाग, सौभाग्य, स्त्रीत्व, सौंदर्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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