Parasnath Bhagwan Aarti: पार्श्वनाथ भगवान की करेंगे ये आरती, जल्दी होगी संतान की प्राप्ति
पार्श्वनाथ भगवान जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर (parasnath 23rd trithankar) है. उनकी इस आरती को करने से जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहती है. इसके साथ ही संतानहीन को संतान की प्राप्ति (Parasnath Bhagwan Ki Aarti) भी हो जाती है.
नई दिल्ली:
पार्श्वनाथ भगवान (parasnath bhagwan) जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर (parasnath 23rd trithankar) है. उनकी ये आरती महात्म्य अनंत है. इसके साथ ही शक्तियों का भंडार है. उनकी आरती रोजाना करने से (aarti bhagwan parasnath) चमत्कारी लाभ की प्राप्ति होती है. जो भी इंसान ऐसा करता है, उसकी दरिद्रता का नाश हो जाता है. वो रंक से राजा हो जाता है. इसके साथ ही उसे जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहती है. संतानहीन को संतान की प्राप्ति भी हो जाती है. तो, चलिए देख लें कि आज आप पार्श्वनाथ भगवान की कौन-सी आरती (chintamani parasnath bhagwan aarti) कर सकते हैं.
यह भी पढ़े : Parasnath Bhagwan Chalisa: पार्श्वनाथ भगवान की रोजाना पढ़ेंगे ये चालीसा, लाभ की होगी प्राप्ति और नाश होगी दरिद्रता
पार्श्वनाथ भगवान की आरती (lord parshwanath aarti)
ओं जय पारस देवा स्वामी जय पारस देवा !
सुर नर मुनिजन तुम चरणन की करते नित सेवा |
पौष वदी ग्यारस काशी में आनंद अतिभारी,
अश्वसेन वामा माता उर लीनों अवतारी | ओं जय..
श्यामवरण नवहस्त काय पग उरग लखन सोहैं,
सुरकृत अति अनुपम पा भूषण सबका मन मोहैं | ओं जय..
जलते देख नाग नागिन को मंत्र नवकार दिया,
हरा कमठ का मान, ज्ञान का भानु प्रकाश किया | ओं जय..
मात पिता तुम स्वामी मेरे, आस करूँ किसकी,
तुम बिन दाता और न कोर्इ, शरण गहूँ जिसकी | ओं जय..
तुम परमातम तुम अध्यातम तुम अंतर्यामी,
स्वर्ग-मोक्ष के दाता तुम हो, त्रिभुवन के स्वामी | ओं जय..
दीनबंधु दु:खहरण जिनेश्वर, तुम ही हो मेरे,
दो शिवधाम को वास दास, हम द्वार खड़े तेरे | ओं जय..
विपद-विकार मिटाओ मन का, अर्ज सुनो दाता,
सेवक द्वै-कर जोड़ प्रभु के, चरणों चित लाता | ओं जय..
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