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इस बार मार्च में पड़ेगी बीमार करने वाली गर्मी, मौसम विभाग ने बताई ये बड़ी वजह

मौसम विभाग का दावा है कि मार्च महीने में ही मई-जून जैसी हीटवेव चलेगी.

Updated on: 02 Mar 2023, 05:54 PM

highlights

  • इस बार मार्च में पड़ेगी प्रचंड गर्मी
  • टूटे जाएंगे गर्मी के सारे रिकॉर्ड
  • मार्च महीने में 40 पार जा सकता है पारा

नई दिल्ली:

गर्मी ने अपने तेवर इस बार फरवरी महीने से दिखाने शुरू कर दिए हैं. बंसत में जहां हल्की ठंड की एहसास होती थी, वहीं, 60 साल बाद इस साल की गर्मी ने खत्म कर दी. फरवरी में पारा 30 डिग्री के पार पहुंच गया. इस बार मार्च में गर्मी के सारे रिकॉर्ड टूटने का दावा किया जा रहा है. मौसम विभाग का दावा है कि मार्च महीने में ही मई-जून जैसी हीटवेव चलेगी. मौसम विभाग की मानें तो उत्तर भारत में इस साल मार्च में तापमान 40 को क्रॉस कर सकता है. इसमें दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, बिहार समेत कई राज्य शामिल हैं. इन राज्यों में मार्च के महीने में आसमन से गर्मी बरसेगी. मार्च के पहले हफ्ते में पारा के तेवर को देखते हुए मौसम केंद्र नई दिल्ली और स्वास्थ्य मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर दी है. मौसम विभाग ने लोगों से लू से बचने और भीषण गर्मी को देखते हुए घर से बाहर निकलने पर खुद को अच्छे से कवर करने की चेतावनी दी है. मौसम विभाग की मानें तो उत्तर भारत में मार्च में तापमान 40 तक पहुंच सकता है.

..तो इस वजह से फरवरी में पड़ी रिकॉर्डतोड़ गर्मी
फरवरी में उत्तर भारत में दिन का तापमान 3.40 डिग्री ज्यादा 24.86 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. जो 60 साल पहले दर्ज किया जाता था. 1960 में फरवरी महीने में 24.55 डिग्री तापमान पहुंचा था. इसके बाद से फरवरी महीना बसंत माह कहलाता है. फरवरी में लोगों को गुलाबी ठंड का ऐहसास होता था, लेकिन इस साल फरवरी में गर्मी चरम पर पहुंच गई है. मौसम विशेषज्ञों की मानें तो इस बार दिसंबर, जनवरी और फरवरी में भी सर्दी सामान्य से कम पड़ी है. साथ ही बारिश भी औसत से कम हुई है. जनवरी के महीने में कुछ दिन भले ही ठंड पड़ी हो, लेकिन दिसंबर में तो पारा सामान्य से ज्यादा ही रहा है. जो पिछले कई साल में ऐसा देखने को मिला.फरवरी में इस बार उत्तर भारत के कई शहरों में तापमान सामान्य से 2 से 3 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा है. 

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बारिश कम होने से तापमान बढ़ने की संभावना

मौसम विशेषज्ञ फरवरी-मार्च में भीषण गर्मी पड़ने की वजह एंटी साइक्लोनिक सिस्टम बनना बता रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार गुजरात, राजस्थान और पूर्वी पाकिस्तान के आसपास के इलाकों में एंटी साइक्लोनिक सिस्टम बन रहे हैं. इसके अलावा वेस्टर्न डिर्स्टबेंस के कमजोर होने से कम बारिश होना भी मुख्य कारण है. वेस्टर्न डिर्स्टबेंस अगर मजबूती के साथ होता तो बारिश की संभावना ज्यादा होती है. इससे तापमान में गिरावट दर्ज की जाती है, लेकिन इस बार डिर्स्टबेंस कमजोर पड़ गया. 

गर्मी से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जारी एडवाइजरी और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, गर्मी से बचने के लिए लोग घर से बेवजह बाहर नहीं निकले. सुबह 10 से शाम 4 बजे तक जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकले. बाहर निकलते समय फूल बाजू की शर्ट और तौलियां का इस्तेमाल करें. इसके अलावा डिहाइड्रेशन से बचाने की पूरी कोशिश करें. इसके लिए दिन के समय थोड़ी-थोड़ी देर में पानी या कोई तरल पदार्थ पीते रहे. जैसे छाछ, नारियल पानी, नींबू की शिकंजी का सेवन ज्यादा करें. शरीर में पानी की मात्रा जितनी अधिक होगी शरीर का टेम्प्रेचर उतना ही कंट्रोल रहेगा.