24 घंटे में हुआ था इस शिव मंदिर का निर्माण, जहां खुद प्रकट हुआ था शिवलिंग
Chhiteshwar Nath Mandir: दुनियाभर में भोलेनाथ के लाखों मंदिर मौजूद है, इनमें से कुछ मंदिरों को रहस्यमयी माना जाता है. जहां हर साल लाखों की संख्या में भोलनाथ के भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे है
New Delhi:
Chhiteshwar Nath Mandir: हमारे देश में लाखों मंदिर मौजूद हैं इनमें से सैकड़ों मंदिर प्राचीन काल से अपनी भव्यता के कारण जाने जाते हैं. वहीं कुछ मंदिरों को अपने रहस्यों की वजह से ख्याति मिली हुई है. आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसके बारे में कहा जाता है कि उस मंदिर का निर्माण 24 घंटों में किया गया था. यही नहीं इस मंदिर में एक शिवलिंग भी स्थापित है. जिसके बारे में कहा जाता है कि ये शिवलिंग वहां खुद ही प्रकट हुआ था.
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दरअसल, हम बात कर रहे हैं छितेश्वरनाथ शिव मंदिर के बारे में, जो यूपी के बलिया जिले में स्थित है. इस मंदिर दर्शन के लिए सैकड़ों श्रद्धालु रोज पहुंचते हैं. मंदिर के पुजारी संतोष पांडेय का कहना है कि यह बाबा क्षितेश्वर नाथ का मंदिर है. ये मंदिर बलिया जिले के छितौनी गांव में है. जो सैकड़ों साल पुराना मंदिर है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग पृथ्वी के अंदर से खुद प्रकट हुआ है. यही नहीं इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 24 घंटे के अंदर किया गया था.
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सपने में तपस्वी को दिए थे भोलेनाथ ने दर्शन
कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले यहां एक एक तपस्वी रहा करते थे जो हमेशा ब्रह्मपुर (बिहार) में ब्रह्मेश्वर नाथ महादेव के दर्शन करने के लिए जाते थे. इसके लिए उन्हें गंगा को पार करना पड़ता था. जिससे तपस्वी को बहुत परेशानी होती थी. एक दिन भोलेनाथ ने स्वप्न में तपस्वी से कहा कि वह छितौनी में ही हैं और इसके लिए उन्हें दूर जाने की जरूरत नहीं है. ये बात उन्होंने स्थानीय लोगों को बताई तो आस पास के ग्रामीणों के सहयोग से इस मंदिर की स्थापना की गई. खुदाई के बाद छितौनी में ही इस शिवलिंग का विग्रह प्राप्त हुआ.
नीचे की ओर जाता है शिवलिंग
कहा जाता है कि इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग ऊपर की बजाय नीचे की ओर जा रहा है. जिसे ऊपर लाने के लिए बहुत कोशिश की गई. लेकिन जब शिवलिंग को ऊपर लाने का प्रयास किया जाता है तो शिवलिंग उतना ही नीचे चला जाता. उसके बाद लोगों ने इसे महादेव का चमत्कार उसी तरह से छोड़ दिया. उसके बाद लोग इसी शिवलिंग की पूजा करने लगे. ये मंदिर प्राचीनकाल से ही लोगों की आस्था का केंद्र रहा है.
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ऐसे पड़ा इस मंदिर का नाम क्षितेश्वर नाथ महादेव
इस मंदिर का नाम इसलिए क्षितेश्वरनाथ पड़ा क्योंकि इस मंदिर में शिवलिंग की उत्पत्ति जमीन के अंदर से हुई. कहा जाता है कि जब इस मंदिर का निर्माण हो रहा था तब दीवारी जोड़ने का काम किया गया लेकिन दीवार बार-बार गिर जाती थी. आखिर में लोग परेशान होकर काशी के विद्वान के पास पहुंचे. तब विद्वान ने बताया कि अगर 24 घंटे के अंदर इस मंदिर का निर्माण किया जाए तो इसकी दीवार नहीं गिरेगी. उसके बाद लोगों ने इस मंदिर का 24 घंटों के अंदर निर्माण कर दिया. और तब एक भी दीवार नहीं गिरी.
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