तीन घंटे में बंगाल के लिए चला देंगे ट्रेन, ममता इजाजत तो दें: पीयूष गोयल
श्रमिकों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए रेलवे ने 1200 ट्रेनें पूरी तरह श्रमिकों के लिए आरक्षित कर दी हैं. रेल मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि इसके बाद भी कई राज्य इन स्पेशल ट्रेनों का लाभ नहीं उठा रहे हैं.
नई दिल्ली:
कोरोना वायरस (Corona virus) के कारण देशभर में लगे लॉकडाउन (Lockdown) के कारण लोग अभी पलायन करने को मजबूर हैं. कोई पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर रहा है तो कोई किसी अन्य तरीके से घर की ओर निकल लिया है. इन मजदूरों के साथ कई हादसे भी हो चुके हैं. रेलवे ने इन श्रमिकों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेन का इंतजाम भी किया है लेकिन कई राज्य इस सुविधा का लाभ नहीं ले रहे हैं.
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रेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush goyal) ने कहा कि 1200 ट्रेनें पूरी तरह से श्रमिक ट्रेनों के लिए आरक्षित कर दी हैं. हर रोज 250 ट्रेनें चलाई जा सकती हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें जो बड़ी-बड़ी बातें करते थे, सैकड़ों चिट्ठियां आती थीं कि ट्रेन चलाएं. अब वही राज्य विशेष ट्रेन की सुविधा लेने से इनकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुंबई से पश्चिम बंगाल को 6 मई से रोज चिट्ठियां जा रही हैं कि हमें पश्चिम बंगाल में ट्रेन भेजनी हैं अलग-अलग जगह. 17 ऐसी रिक्वेस्ट कल तक पश्चिम बंगाल को भेजी गई हैं. वैसे तो रिक्वेस्ट 100 ट्रेनों की है पर वो कह रहे हैं कि इन्हें कैसे भेजें जब पहले की 17 रिक्वेस्ट ही अप्रूव नहीं हुई हैं.
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तीन घंटे में चला दें ट्रेन
रेल मंत्री ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के लाखों प्रवासी देश के विभिन्न राज्यों में मजदूरी करते हैं. वो वापस घर जाना चाहते हैं. उनके लिए हम तीन घंटे में ट्रेनें उपलब्ध करा देंगे. उन्होंने कहा कि देश में 8 हजार रेलवे स्टेशन हैं, इनमें ममता जिस स्टेशन से कहें वहां से ट्रेन चलवा सकते हैं. उन्होने कहा कि 8 तारीख की रात को जब गृह मंत्री जी ने पत्र लिखा और 9 तारीख की सुबह वो पत्र देश के सामने आया तब तक केवल दो ट्रेनों की परमिशन पश्चिम बंगाल की तरफ से थी. उस दिन दोपहर को हमें संदेश मिला कि 8 और ट्रेनें लेंगे. लेकिन अंत में पश्चिम बंगाल ने सिर्फ 5 और ट्रेनें ही लीं. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में जाने वालों की संख्या करीब 50 लाख है. अगर बंगाल के लिए रोज 100 ट्रेनें चलें तभी लोग सुरक्षित पहुंच पाएंगे. वरना उन्हें पैदल या ट्रकों पर चढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
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