बलवंत सिंह राजोआना केस में केंद्र को 6 और हफ्ते, SC ने टाली सुनवाई
पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में फांसी की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना की राष्ट्रपति (President) के पास लंबित दया याचिका पर फैसला लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को छह और हफ्तों का समय दिया है.
highlights
- बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका का मामला
- सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिका पर फैसला लेने को दिया 6 और हफ्तों का समय
- बीते 9 सालों ले लंबित है राजोआना की राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका
नई दिल्ली:
पंजाब (Punjab) के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में फांसी की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना की राष्ट्रपति (President) के पास लंबित दया याचिका पर फैसला लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को छह और हफ्तों का समय दिया है. गौरतलब है कि राजोआना की दया याचिका राष्ट्रपति के समक्ष बीते 9 सालों से लंबित है और वह खुद 26 सालों से जेल में बंद है. इसके पहले हुई सुनवाई में दया याचिका पर और वक्त की दरकार करने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि बार-बार समय की दरकार क्यों पड़ रही है. आज फिर इस पर हुई सुनवाई में केंद्र की ओर से बताया गया कि राष्ट्रपति ने दया याचिका के निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ऐसे में सुनवाई को छह हफ्तों के लिए और टाल दिया जाए.
केंद्र ने मांगे थे छह और हफ्ते
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई में कहा कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी को उम्रकैद में बदलने की मांग पर राष्ट्रपति को फैसला लेना है. केस पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री का है. मौजूदा हालात को देखते हुए सुनवाई को छह हफ्ते के लिए टाल दी जाए. इस पर कोर्ट ने सुनवाई 6 हफ्ते के लिए टाल दी. इस मामले में बलवंत रजोआना का कहना है कि वह पिछले करीब 26 साल से जेल में बंद है. 9 साल से उनकी दया याचिका लंबित है. दया याचिका के निपटारे में हो रही यह देरी ही उसकी फांसी को उम्रकैद में बदलने के लिए पर्याप्त आधार है. गौरतलब है कि राजोआना को 1955 में बेअंत सिंह की हत्या के मामले में फांसी की सजा दी गई थी.
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पिछली सुनवाई में भी उठे थे सवाल
पिछले सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 1995 के पंजाब के सीएम बेअंत सिंह हत्याकांड में फांसी की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा माफ करने के बारे में राष्ट्रपति के पास प्रस्ताव भेजने में देरी के मामले में सवाल किया था और अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था कि वह कब प्रस्ताव भेजने वाला है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह बताए कि संविधान के अनुच्छेद-72 के प्रावधान के तहत कब इसके लिए प्रस्ताव भेजने वाला है. इसके बाद 25 जनवरी को भी सुनवाई ने सुप्रीम कोर्ट ने देरी पर सवाल उठाए और दो हफ्तों का समय दिया गया था.
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राष्ट्रपति को है फांसी की सजा माफी का अधिकार
दरअसल अनुच्छेद-72 के तहत राष्ट्रपति को सजा कम करने या माफ करने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट के सामने ये तथ्य आया था कि गृह मंत्रालय ने 7 सितंबर 2019 को पंजाब के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर कहा था कि राजोआना की फांसी की सजा की माफी का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर संज्ञान लिया और पूछा कि अभी तक इस मामले में प्रस्ताव क्यों नहीं भेजा जा सका है और ये कब तक भेजा जाएग. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि अन्य दोषियों की याचिका लंबित है. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि गृह मंत्रालय को निर्देश जारी किया जाए कि मौत की सजा माफ करने के लिए उनकी याचिका का जल्द निपटारा किया जाना चाहिए. गौरतलब है कि 1995 में पंजाब के सीएम बेअंत सिंह की बम विस्फोट में हत्या कर दी गई थी.
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