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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 28 हफ्ते की गर्भवती रेप पीड़िता को दी अबार्शन की मंजूरी

Supreme Court: देश की सर्वोच्च अदालत ने सुनाया बड़ा फैसला, 30 हफ्ते की गर्भवती रेप पीड़िता को अबार्शन के लिए दी मंजूरी, पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने किया था खारिज

Updated on: 22 Apr 2024, 11:46 AM

New Delhi:

Supreme Court: देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 22 अप्रैल को एक बड़ा फैसला लिया है. दरअसल शीर्ष अदालत ने 14 वर्ष की रेप पीड़िता को गर्भपात की मंजूरी दे दी है. खास बात यह है कि पीड़िता 30 हफ्तों से गर्भवती है. बताया जा रहा है कि मेडिकल ग्राउंड के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. इस फैसले को सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि चिकित्सीय समापन कराने की अनुमति रेप का मामला देखते हुए दी गई है. मामले की सुनवाई सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने की. 

रद्द किया बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को भी रद्द किया है जिसके तहत 30 हफ्ते के गर्भपात की मंजूरी नहीं दी गई थी. कोर्ट ने पीड़िता की उम्र कम बताते हुए इसे न गिराने के लिए कहा था. हालांकि पीड़िता की मां  ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. 

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पीड़िता ने मां ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की और नाबालिग बेटी के गर्भपात की इजाजत मांगी थी. पीड़िता ने मां ने याचिका में कहा था कि पीड़िता नाबालिग है और इसके गर्भावस्था को समाप्त करने की माननीय कोर्ट की ओर से इजाजत दी आए. 

क्या कहता है MTP अधिनियम
आपको बता दें कि,  MTP यानी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी अधिनियम गर्भपात को लेकर ही बनाया गया है. इस अधिनियम के तहत विवाहित महिलाओं के अलावा एक विशेष कैटेगरी की महिलाओं के लिए भी अबॉर्शन करने की अधिकतम सीमा तय की गई है. इसके मुताबिक 24 हफ्ते में गर्भपात कराया जा सकता है. इसमें रेप पीड़िता और अन्य कमजोर महिलाएं जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं शामिल हैं. जैसे विकलांग या दिव्यांग के साथ-साथ नाबालिग को भी इस श्रेणी में शामिल किया गया है.