थरूर ने कहा, स्कूलों में रामायण और महाभारत की होनी चाहिए पढ़ाई
थरूर जयपुर साहित्य महोत्सव में 'राज की याद' नामक एक सत्र में भाग ले रहे थे।
जयपुर:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के जनसंपर्क विभाग के प्रमुख मोहन वैद्य के सुर में सुर मिलाते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने रविवार को देश की शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए अपने विचार व्यक्त किए। वैद्य ने दो दिन पहले 'देश के इतिहास और लोकाचार' के आधार पर शिक्षा व्यवस्था में सुधार की वकालत की थी।
थरूर जयपुर साहित्य महोत्सव में 'राज की याद' नामक एक सत्र में भाग ले रहे थे। श्रोताओं के सवालों का जवाब देते हुए थरूर ने भारतीय सभ्यता के पहलुओं को शामिल करने के लिए शिक्षा व्यवस्था में सुधार की इच्छा जताई।
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कांग्रेस सांसद ने कहा, 'ब्रिटिश भारतीय दिमाग को उपनिवेश बनाना चाहते थे। भारत में जो शिक्षा लाई गई थी, वह राज को और मजबूत करने तथा हमारे व्यवहार को औपनिवेशिक बनाने के लिए थी।' थरूर ने कहा, 'यह दुखद है कि 70 साल बाद भी हम शेक्सपीयर का अध्ययन करते हैं। हम हमारे बच्चों को कालिदास नहीं पढ़ा रहे हैं।'
उन्होंने कहा, 'मैं हमारे स्कूलों में रामायण और महाभारत पढ़ाए जाने के काफी पक्ष में हूं। इसे हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारी शिक्षा-व्यवस्था को समृद्ध बनाने के रूप में देखा जाना चाहिए।'
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हालांकि थरूर ने शिक्षा-व्यवस्था में एक खास राजनीतिक विचारधारा को बलपूर्वक प्रवाहित करने को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि पाठ्य पुस्तकों में केवल सभ्यता की पक्ष समाहित किए जाने चाहिए। जयपुर साहित्य महोत्सव में नियमित रूप से भाग लेने वाले थरूर सर्वाधिक भीड़ जुटाने वालों में एक हैं।
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