वेंकैया नायडू के एबीवीपी से उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने तक का सफर
नरेंद्र मोदी के लिए गुजरात के सीएम से भारत के पीएम बनने तक का सफर वेंकैया नायडू के बिना आसान नहीं होता।
highlights
- नायडू 1977 से 1980 तक यानी की आपातकाल के बाद जनता पार्टी के युवा शाखा के अध्यक्ष रहे
- साल 2002 से 2004 तक उन्होने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार संभाला
- अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान नायडू केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे
नई दिल्ली:
एनडीए ने उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू को अपना उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी की सोमवार शाम हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में नायडू के नाम पर सहमति बनी। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया।
नरेंद्र मोदी के लिए गुजरात के सीएम से भारत के पीएम बनने तक का सफर वेंकैया नायडू के बिना आसान नहीं होता। कहा जाता है मोदी को लोकसभा चुनाव कैंपेन कमेटी का प्रमुख बनाने में नायडू का बड़ा हाथ था। बता दें कि 9 जून 2013 को गोवा में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में ही लोकसभा चुनाव कैंपेन कमेटी का प्रमुख बनाने बनाने का प्रस्ताव रखा गया था।
वेंकैया नायडू को पार्टी का अध्यक्ष आडवाणी ने बनवाया और 2001 में जब आडवाणी को संन्यास की मुद्रा में आना पड़ा तब भी वो वेंकैया को ही पार्टी अध्यक्ष बनाना चाहते थे।
आंध्र प्रदेश के नेल्लोर ज़िला में पैदा हुए वेंकैया नायडू की पहचान हमेशा एक 'आंदोलनकारी' के रूप में रही है। नायडू 1972 में 'जय आंध्र आंदोलन' के दौरान पहली बार सुर्खियों में आए। अपने छात्र जीवन में नायडू लोकनायक जयप्रकाश नारायण की विचारधारा से काफी प्रभावित हुए थे।
नायडू ने आपातकाल का विरोध किया और सड़कों पर उतर आए। बाद में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
उप-राष्ट्रपति चुनाव: बीजेपी ने वेंकैया नायडू को बनाया उम्मीदवार, मंगलवार को भरेंगे नामांकन
नायडू 1977 से 1980 तक यानी की आपातकाल के बाद जनता पार्टी के युवा शाखा के अध्यक्ष रहे। आगे चलकर साल 2002 से 2004 तक उन्होने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार संभाला।
जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार (1999-2004) के दौरान नायडू केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे। फिलहाल वे केंद्रीय शहरी विकास, आवास तथा शहरी गरीबी उन्मूलन तथा संसदीय कार्य मंत्री है।
नायडू आमतौर पर विवादों से दूर रहने वाले नेता माने गए हैं और शायद यही वजह है कि बीजेपी ने इन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है।
आइए एक नज़र डालते हैं इनके द्वारा निभाये गए महत्वपूर्ण उत्तरदायित्वों पर।
- 1973-1974 : अध्यक्ष, छात्र संघ, आंध्र विश्वविद्यालय
- 1974 : संयोजक, लोक नायक जय प्रकाश नारायण युवजन चतरा संघर्ष समिति, आंध्र प्रदेश
- 1977-1980 : अध्यक्ष, जनता पार्टी की युवा शाखा, आंध्र प्रदेश
- 1978-85 : सदस्य, विधान सभा, आंध्र प्रदेश (दो बार)
- 1980-1985 : नेता, आंध्र प्रदेश भाजपा विधायक दल
- 1985-1988 : महासचिव, आंध्र प्रदेश राज्य भाजपा
- 1988-1993 : अध्यक्ष, आंध्र प्रदेश राज्य भाजपा
- 1993 - सितंबर, 2000 : राष्ट्रीय महासचिव, भारतीय जनता पार्टी, सचिव, भाजपा संसदीय बोर्ड, सचिव, बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति, बीजेपी के प्रवक्ता
- 1998 के बाद : सदस्य, कर्नाटक से राज्यसभा (तीन बार)
- 1 जुलाई 2002 से 30 सितंबर 2000 : भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री
- 5 अक्टूबर 2004 से 1 जुलाई 2002 : राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी
- अप्रैल 2005 के बाद : राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी
- 26 मई 2014 : शहरी विकास और संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री
बीजेपी ने साल 2004 का लोकसभा चुनाव वेंकैया नायडू के नेतृत्व में लड़ा था लेकिन पार्टी सत्ता में वापस नहीं लौट पाई। इसके बावजूद नायडू की अहमियत पार्टी में कभी भी कम नहीं हुई। ज़ाहिर है वेंकैया दक्षिण भारत में बीजेपी का चेहरा है। साथ ही अच्छी हिंदी भी जानते हैं ऐसे में नायडू उत्तर भारत में भी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करते रहे हैं।
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