Mukhtar Ansari : मुख्तार-अफजाल अंसारी को सजा, जानें क्या है गैंगस्टर एक्ट
Mukhtar Ansari : बाहुबली माफिया डॉन मुख्तार अंसारी और उसके अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में दोषी करार दिया गया है. इस मामले में मुख्तार को 10 साल की सजा और अफजाल को 4 साल की सजा मिली है.
नई दिल्ली:
Mukhtar Ansari : बाहुबली माफिया डॉन मुख्तार अंसारी और उसके अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में दोषी करार दिया गया है. इस मामले में मुख्तार को 10 साल की सजा और अफजाल को 4 साल की सजा मिली है. बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड और व्यापारी नंदकिशोर रूंगटा अपहरण के बाद दोनों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. आइये जानते हैं कि गैंगस्टर एक्ट क्या है और अपराधियों पर कब-कैसे लगाया जाता है.
उत्तर प्रदेश राज्य में 1986 में गैंगस्टर एक्ट कानून बनाया गया था. गैंगस्टर दो शब्दों से मिलकर बना है- एक गैंग और दूसरा स्टर.. गैंग का अर्थ है समूह और स्टर का अर्थ है भीड़ से. इस एक्ट का लक्ष्य समूह या गिरोह या गैंग बनाकर अपराध करने वाले आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करना है. बताया जाता है कि किसी एक आरोपी की अपेक्षा गैंग बहुत गंभीर अपराध करते हैं और इनकी संख्या को कंट्रोल करना मुश्किल होता है, इसलिए गैंगस्टर एक्ट लगाया जाता है.
अगर कोई व्यक्ति डकैती, हत्या, लूट और रंगदारी से अपना जीवोपार्जन करता है तो उसे गैंगस्टर की कैटेगरी में रखा जाता है. एक गैंगस्टर पर कई सारे केस दर्ज होते हैं. ये लोग गैंग या समूह में किसी अपराध को अंजाम देते हैं. इसके बाद थाना प्रभारी गैंग चार्ट में उसका नाम शामिल कर देता है. ऐसे ही किसी व्यक्ति या अपराधी को गैंगस्टर घोषित किया जाता है.
जानें क्या होती सजा?
साल 2015 में तत्कालीन सरकार ने इस कानून को और सख्त बनाने के लिए गैंगस्टर एक्ट में संशोधन किया था. इस संशोधन के बाद गैंगस्टर में दोषी को 2 साल से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान जुड़ गया. हालांकि, संशोधन से पहले गैंगस्टर एक्ट में 15 तरह के क्राइम शामिल थे, जिनमें यौन शोषण, भिक्षवृत्ति, अंगों की तस्करी, मानव तस्करी, बालश्रम कराने, बंधुआ मजदूरी और जाली नोट छापने आदि थे
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2021 में और सख्त हुआ ये कानून
साल 2021 में नए नियम शामिल करते गैंगस्टर एक्ट को और सख्त बना दिया गया. इसमें अपराधियों की संपत्ति को जब्त करने और कुर्क करने का प्रावधान जोड़ दिया गया. साथ ही जिलाधिकारों के पॉवर को और बढ़ा दिया गया. पहले आरोपियों के खिलाफ यह एक्ट लगाने के लिए उसके ऊपर दो या दो से अधिक केस दर्ज होना अनिवार्य था, लेकिन अब हत्या, लूट, गैंगरेप, डकैती और हत्या करके लूट करने के केसों में भी यह एक्ट लगाया जाता है.
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