जानिए क्यों भारतीय तेजस फाइटर के दीवाने हुए अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया, खास है खूबियां
भारत ने मलेशिया को 18 हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस बेचने की पेशकश की है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया और फिलीपींस भी इसमें रुचि रखते हैं
नई दिल्ली:
भारत ने मलेशिया को 18 हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस बेचने की पेशकश की है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया और फिलीपींस भी इसमें रुचि रखते हैं. भारत सरकार ने पिछले साल राज्य के स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को स्थानीय रूप से उत्पादित तेजस जेट्स के लिए 2023 के आसपास डिलीवरी के लिए 6 बिलियन डॉलर का अनुबंध दिया था.
हाल में मलेशिया की पहली पसंद बनने के बाद स्वदेशी तेजस युद्धक जेट विमान सुर्खियों में था. एक बार फिर यह चर्चा में है. इस भारतीय विमान का मुकाबला चीन, रूस और दक्षिण कोरिया के विकसित विमानों से था, लेकिन अपनी बेहतरीन खूबियों के कारण यह सभी देशों के विमानों पर भारी पड़ा. इन देशों के विमानों से भारत का तेजस सर्वश्रेष्ठ साबित हुआ.
रक्षा विशेषज्ञ कमर अघा का कहना है कि अगर तेजस विमान की तुलना सुखोई से की जाए तो यह उससे ज्यादा हल्के हैं. ये विमान आठ से नौ टन तक बोझ लेकर उड़ने में पूरी तरह से सक्षम हैं. ये विमान उतने ही हथियार और मिसाइल लेकर उड़ सकता है, जितना इससे ज्यादा वजन वाला सुखोई विमान.
उन्होंने कहा कि इनकी सबसे बड़ी खूबी इसकी स्पीड है. हल्के होने के कारण इनकी गति बेमिसाल है. ये विमान 52 हजार फीट की ऊंचाई तक ध्वनि की गति यानी मैक 1.6 से लेकर 1.8 तक की तेजी से उड़ सकते हैं.
खास बात यह है कि सुखोई विमानों का उत्पादन भी एचएएल ही करती है. उनका कहना है कि तेजस मार्क-1ए, सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से इसलिए भी महंगा है, क्योंकि इसमें कई आधुनिक उपक्रम जोड़े गए हैं. मसलन इसमें इसरायल में विकसित रडार हैं. इसके अलावा इस विमान में स्वदेश में विकसित किया हुआ रडार भी है. यह विमान काफी हल्का है और इसकी मारक क्षमता भी बेहतर है. यह बहुआयामी लड़ाकू विमान है.
तेजस में नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इसमें क्रिटिकल आपरेशन क्षमता के लिए एक्टिव इलेक्ट्रानिकली-स्कैन्ड रडार लगा है. यह हवा में ईंधन भर सकता है और जंग के लिए दोबारा तैयार हो सकता है. तेजस दूर से ही दुश्मन के विमानों पर निशाना साध सकता है. इतना ही नहीं यह दुश्मन के रडार को भी चकमा देने की क्षमता रखता है.
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब भारतीय वायु सेना के बेड़े में लड़ाकू विमानों की कमी हो रही है, इस तेजस का स्वागत होना चाहिए. तेजस विमानों की इस परियोजना की नींव वर्ष 1983 में ही रखी गई थी. तेजस ने अपनी पहली उड़ान वर्ष 2001 के जनवरी में भरी थी. इस विमान को भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन में 2016 में ही शामिल किया जा सका.
भारत के स्वदेशी तेजस युद्धक जेट विमान मलेशिया की पहली पसंद बन गए हैं. इस दक्षिणपूर्वी एशियाई देश ने अपने पुराने युद्धक विमानों की जगह अत्याधुनिक तेजस विमानों की खरीद पर भारत से बातचीत शुरू कर दी है.
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