पाकिस्तान और चीन की बढ़ेगी टेंशन, आज Make In India के इस हथियार से लैस हुई भारतीय सेना
आज भारतीय सेना के लिए जहां खुशी का मौका है, वहीं पाकिस्तान और चीन के लिए सिरदर्द बढ़ने वाला है. आज भारतीय सेना के बेड़े में M777 वज्र होवित्जर और K9 तोप शामिल हो गईं. होवित्जर तोप किसी भी तरह की रासायनिक और जैविक खतरें को भांप सकती हैं.
नई दिल्ली:
आज भारतीय सेना के लिए जहां खुशी का मौका है, वहीं पाकिस्तान और चीन के लिए सिरदर्द बढ़ने वाला है. आज भारतीय सेना के बेड़े में M777 वज्र होवित्जर और K9 तोप शामिल हो गईं. होवित्जर तोप किसी भी तरह की रासायनिक और जैविक खबरें को भांप सकती हैं. इसमें 155 एमएम की गन का इस्तेमाल होता है. इसकी मारक क्षमता 40 से 50 किलोमीटर तक है. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत महाराष्ट्र के देवलाली में आज इन तोपों को आधिकारिक तौर पर सेना में शामिल करेंगे.
#WATCH Nasik: The M777 Ultra Light Howitzer which was inducted in the Army recently,in action. Defence Minister Nirmala Sitharaman and Army Chief General Bipin Rawat were also present on the occasion pic.twitter.com/2eZgP28QHb
— ANI (@ANI) November 9, 2018
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कुल 100 K-9 वज्र तोपों में से पहली खेप के रूप में 10 तोपें की इसी महीने आपूर्ति की जाएगी. 2020 तक सभी 100 तोपों की आपूर्ति हो जाएगी. इसमें 4,366 करोड़ रुपये की लागत आ रही है. यह 30 सेकेंड में तीन गोले दागने में सक्षम है और यह तीन मिनट में 15 गोले दाग सकती है. थल सेना के सूत्रों के अनुसार, 145 एम 777 होवित्जर की सात रेजीमेंट भी बनाई जाएगी. इस तोप की रेंज 30 किमी तक है. इसे हेलीकॉप्टर या विमान के जरिए वांछित स्थान तक ले जाया जा सकता है.
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने देवलाली में दक्षिण कोरिया की खास के-9 वज्र तोपों को सैन्य परंपरा के तहत भारतीय सेना में विधिवत तौर से शामिल कराया. इसके अलावा कल ही अमेरिका से आयात की गई एम-777 लाइट होवित्जर तोप को भी सेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा. तोपों की कमी से जूझ रही भारतीय सेना के लिए के-9 वज्र और एम-777 तोपें बेहद कारगर हो सकती हैं.
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मेक इन इंडिया के तहत बनी हैं K9 वज्र तोपें
दक्षिण कोरिया की एक बड़ी कंपनी हानवा-टेकविन ने भारत के साथ मिलकर मेक इन इंडिया के तहत एल एंड टी कंपनी के साथ मिलकर 100 K9 वज्र तोपें बना रही है. पहली खेप में 10 तोपें सीधे कोरिया से भारतीय सेना को मिलेंगी. 155x52 कैलेबर की बाकी 90 तोपें पुणे के करीब तालेगांव में एल एंड टी के प्लांट में बनाई जा रही हैं.
K9 प्रोजेक्ट की खास बातें
- एल एंड टी और हानवा-टेकविन की 50-50 प्रतिशत भागीदारी.
- मई 2017 में हुए इस सौदे की कुल कीमत करीब 4300 करोड़ रुपये है.
- दक्षिण कोरिया की सेना वर्ष 1999 से इन तोपों का इस्तेमाल कर रही है.
- टैंक नुमा 'K9 वज्र' तोप रेगिस्तानी इलाकों के लिए तैयार की गई है.
- K9 डायरेक्ट फायरिंग में एक किलोमीटर दूरी पर बने दुश्मन के बंकर और टैंकों को भी तबाह करने में सक्षम.
- 155X39 कैलेबर की वज्र एक सेल्फ प्रोपेलड ट्रेक्ड तोप है.
- अब तक K9 तोप यूएई, पोलैंड और फिनलैंड जैसे देश इस्तेमाल कर रही हैं.
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होवित्जर तोपों की खास बातें
- भारत ने 145 अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोपें अमेरिका से खरीदी हैं.
- इन तोपों को हेलीकॉप्टर से पहाड़ी इलाक़ों तक ले जाया जा सकता है.
- तोपों को भारतीय सेना ने अपनी नई माउंटेन स्ट्राइक कोर के लिए खरीदा है, जिसे चीन सीमा पर तैनात करने के लिए तैयार किया गया है.
- अबतक 04 M777 होवित्जर भारत पहुंच चुकी हैं. बाकी अगले दो-तीन साल में मिल जाएंगी.
- M777 की कुल नौ रेजीमेंट सेना में होंगी.
- 30 किलोमीटर तक मार करने वाली ये तोपें स्टेट ऑफ द आर्ट टेक्नोलोजी से लैस हैं.
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