जानिए कौन हैं JNU के छात्र नेता उमर खालिद, देशद्रोह के आरोप में जा चुके हैं जेल
लगभग तीन दशक पहले उमर खालिद का परिवार महाराष्ट्र के अमरावती के तालेगांव से दिल्ली आकर बस गया था। उमर परिवार के साथ दिल्ली के जाकिरनगर में रहते हैं।
नई दिल्ली:
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र उमर खालिद पर सोमवार को कांस्टीट्यूशन क्लब के बाहर एक अज्ञात व्यक्ति ने गोली चलाई, जिसमें खालिद बाल-बाल बच गए। यह हमला अपरान्ह करीब 2.30 बजे हुआ, जब खालिद एक चाय की दुकान पर थे। बताया जा रहा है कि हमलावरों ने उन्हें धक्का देकर नीचे गिराकर गोली मारी। लेकिन सौभाग्य से गोली उनके पास से होकर निकल गई। इससे पहले कि हमलावर उनपर और गोली चलाता उसकी पिस्तौल नीचे गिर गई।
आखिर कौन है उमर खालिद?
आज से करीब तीन दशक पहले खालिद का परिवार महाराष्ट्र के अमरावती के तालेगांव से दिल्ली में आकर बस गया था। उमर खालिद अपने परिवार के साथ जाकिरनगर में रहते हैं हालांकि किसी ने उन्हें यहां शायद ही कभी देखा होगा। जानकारी के अनुसार खालिद के पिता सैयद कासिम रसूल इलियास दिल्ली में ही ऊर्दू की मैगजिन ‘अफकार-ए-मिल्ली’ चलाते हैं। उमर खालिद JNU के स्कूल ऑफ सोशल साइंस से इतिहास में पीएचडी कर रहे हैं। इससे पहले वह इतिहास में MA और M.Phil कर चुके हैं। खालिद जेएनयू में DSU (डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन) से जुड़े रहे हैं जिसे प्रतिबंधित सीपीआई माओवादी पार्टी का समर्थक माना जाता है।
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9 फरवरी 2016 को देश विरोधी और आतंकी अफज़ल गुरु के समर्थन में नारे लगाने के आरोप में उमर खालिद, कन्हैया कुमार और अनिर्बान के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगने के बाद उमर खालिद अचानक गायब हो गए थे। इन तीनों की गिरफ्तारी भी हुई लेकिन बाद में कोर्ट से जमानत मिल गई। इस केस में अभी जांच जारी है पुलिस बीते दो साल में भी चार्जशीट तक दाखिल नहीं कर पाई है।
कुछ समय बाद कश्मीरी आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद भी उमर ने फेसबुक पर एक विवादित पोस्ट लिखी थी जिसमें उसकी तुलना क्रांतिकारी नेता चे ग्वेरा से की गई थी।
ऐसी भी खबरें सामने आई थीं कि खालिद कई विश्वविद्यालयों में आतंकी अफजल गुरु के गुणगान में कार्यक्रम करवाना चाहते थे। 9 फरवरी 2016 को जेएनयू में हुए कार्यक्रम की तर्ज पर वह देश के 18 विश्वविद्यालयों में उसी कार्यक्रम को दोहराना चाहते थे।
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इससे पहले उमर खालिद का नाम जेएनयू कैंपस में हिंदू देवी देवताओं की आपत्तिजनक तस्वीरें लगाकर नफरत पैदा करने के मामले में भी सामने आया था। इसके आलावा उमर खालिद उस समारोह में भी शामिल था जब आतंकी अफजल गुरु की फांसी को गैरकानूनी बताया गया था।
बताया जाता है कि साल 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ जवानों की हत्या के बाद भी उमर खालिद और उसके साथियों ने एक कार्यक्रम किया था जिसके बाद काफी बवाल हुआ था।
26 जनवरी, 2015 को 'इंटरनेशनल फूड फेस्टिवल' के दौरान कश्मीर को अलग देश दिखाने के मामले में भी खालिद का ही नाम सामने आया था।
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