दुश्मनों के लिए अब 'काल' बनेगी भारतीय सेना, मिलेगा नया संचार नेटवर्क; होगी इतनी कीमत
मंत्रालय ने कहा, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम आईटीआई द्वारा 7,796.39 करोड़ रुपये की लागत से इसे लागू किया जा रहा है. मंत्रालय ने कहा कि इसका कार्यान्वयन अनुबंध की तारीख से 36 महीने की अवधि के बाद सुनिश्चित हो जाएगा.
नई दिल्ली:
परिचालन (ऑपरेशनल) स्थितियों में बेहतर प्रदर्शन एवं जवाबदेही के लिए सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने गुरुवार को 7,796.39 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर एक सुरक्षित और बेहतर संचार नेटवर्क (Communication Network) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. रक्षा मंत्रालय (Defense Ministry) ने कहा कि नया आर्मी स्टेटिक स्विचड कम्युनिकेशन नेटवर्क (एस्कॉन) भारतीय सेना की लंबे समय से लंबित मांग रही है.
मंत्रालय ने कहा, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम आईटीआई द्वारा 7,796.39 करोड़ रुपये की लागत से इसे लागू किया जा रहा है. मंत्रालय ने कहा कि इसका कार्यान्वयन अनुबंध की तारीख से 36 महीने की अवधि के बाद सुनिश्चित हो जाएगा. इसके अलावा, लगभग 80 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ यह परियोजना भारतीय उद्योग को बढ़ावा देगी. यह प्रोजेक्ट मौजूदा अतुल्यकालिक ट्रांसफर मोड टेक्नोलॉजी को इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) और मल्टी प्रोटोकॉल लेबल स्विचिंग (एमपीएलएस) टेक्नोलॉजी में अपग्रेड करेगा.
मंत्रालय ने कहा, ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी), माइक्रोवेव रेडियो और सैटेलाइट का उपयोग संचार माध्यम के रूप में किया जाएगा. परियोजना किसी भी परिचालन परिदृश्य में बेहतर उत्तरजीविता, जवाबदेही और उच्च बैंडविड्थ प्रदान करेगी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा, नियंत्रण रेखा और वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब नेटवर्क के संचार कवरेज को बढ़ाएगी.नेटवर्क मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में दूरदराज के परिचालन क्षेत्रों के लिए उच्च बैंडविड्थ संचार का विस्तार करेगा और पश्चिमी सीमाओं में भी आगे के स्थानों तक संचार पहुंच बढ़ाएगा.
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इस प्रकार, यह परियोजना संवेदनशील फॉरवर्ड ऑपरेशनल क्षेत्रों में भारतीय सेना के संचार नेटवर्क को बढ़ाएगी, जो भारतीय सेना की परिचालन तैयारियों को एक प्रमुख बढ़ावा देगी, विशेष रूप से एलएसी के साथ वर्तमान परिचालन स्थिति को ध्यान में रखते हुए इसका काफी महत्व होगा. इस परियोजना में सिविल कार्यों का निष्पादन, ओएफसी का निर्माण, टॉवर निर्माण और स्थानीय संसाधनों के उपयोग और जनशक्ति को काम पर रखने के साथ ही यह रोजगार के अवसर पैदा करेगा.
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यह विशेष रूप से दूरदराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन और बढ़ावा देने का भी काम करेगा. इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था का उत्थान होगा. यह परियोजना सार्वजनिक क्षेत्र के लिए अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने और भारतीय अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने का एक बड़ा अवसर है और यह आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
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