Sengol : मदुरई पीठ के महंत बोले, 2024 में पीएम के तौर पर वापस आएं नरेंद्र मोदी
He should return as PM in 2024, says Madurai Adheenam Head Priest who will present Sengol to PM Modi : मुदरई अधीनम पीठ के मुख्य महंत श्री हरिहर देसिका स्वामिगल ( Sri Harihara Desika Swamiga, Head priest of Madurai Adheenam ) ने बड़ा बयान दिया है और कहा है कि नरेंद्र मोदी को ही साल 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद फिर से...
highlights
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से बनें पीएम
- मदुरई पीठ के मुख्य महंत ने दिया बड़ा बयान
- 28 मई को प्रधानमंत्री को सैंगोन सौंपेंगे महंत
नई दिल्ली:
He should return as PM in 2024, says Madurai Adheenam Head Priest who will present Sengol to PM Modi : मुदरई अधीनम पीठ के मुख्य महंत श्री हरिहर देसिका स्वामिगल ( Sri Harihara Desika Swamiga, Head priest of Madurai Adheenam ) ने बड़ा बयान दिया है और कहा है कि नरेंद्र मोदी को ही साल 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद फिर से बतौर प्रधानमंत्री लौटना चाहिए. ये वही महंत हैं, जो 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पवित्र सैंगोन सौंपेंगे और उसे फिर लोकतंत्र के मंदिर संसद के नए भवन में रखा जाएगा. अभी तक सैंगोन के बारे में भारत देश के ही लोगों को कुछ नहीं पता था, क्योंकि अभी तक इस सैंगोन को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु को मिली भेंट बताया जाता था और उसे उनकी निजी संपत्ति के तौर पर इलाहाबाद संग्रहालय में रखा गया था.
दक्षिण भारत के प्रमुख पीठों में से एक है मदुरई अधीनम पीठ
मुदरई अधीनम पीठ के मुख्य महंत श्री हरिहर देसिका स्वामिगल मदुरई पीठ के 293वें मुख्य महंत हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के शीर्ष नेताओं में शामिल हैं. उन्हें सारी दुनिया में इज्जत मिल रही है. ऐसे में हमें प्रसन्न होना चाहिए कि हमारी लोकतांत्रिक परंपरा से बनी सरकार के मुखिया की दुनिया में साख बढ़ी है. ऐसा देश के मजबूत होने से ही होता है. ऐसे में मैं उम्मीद जताता हूं कि उन्हें साल 2024 में बतौर प्रधानमंत्री फिर से वापसी करनी चाहिए.
28 मई को प्रधानमंत्री को सैंगोन सौंपेंगे महंत स्वामिगल
बता दें कि 28 मई को देश के नए संसद भवन का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इस लोकार्पण के दौरान ही उन्हें मदुरई समेत महत्वपूर्ण पीठों के प्रमुख पवित्र सैंगोन सौंपेंगे, जो भारत देश के प्राचीन राजतंत्र चोल साम्राज्य से जुड़ा है. इसे भारतीय परंपरा की विरासत के तौर पर संसद भवन में ही रखा जाएगा.
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