Gaganyaan Mission: गगनयान मिशन की पहली परीक्षण उड़ान टली, इसरो चीफ ने बताई वजह
Gaganyaan Mission: इसरो का गगनयान मिशन आज अपनी पहली परीक्षण उड़ान भरने वाला है. इस परीक्षण उड़ान के जरिए इसरो मानव को अंतरिक्ष में भेजने के बाद उसे उसे जमीन पर सुरक्षित लाने की तैयारी कर रहा है. जो अंतरिक्ष में मानव सहित मिशन के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
New Delhi:
Gaganyaan Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज (शनिवार) अपने महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की पहली परीक्षण उड़ान भरने वाला है. चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 के बाद इसरो तीसरी बार अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और इतिहास रचने जा रहा है. इसरो सुबह 7.30 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गगनयान मिशन के लिए मानवरहित उड़ान परीक्षण का सीधा प्रसारण करेगा. इसरो का ये मिशन भविष्य के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रमों को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो टेस्ट व्हीकल अबार्ट मिशन-1 (TV-D 1) के जरिये पहले क्रू मॉड्यूल का परीक्षण करेगी.
गगनयान मिशन के लिए परीक्षण उड़ान सुबह आठ बजे लॉन्च की जाएगी. इसरो ने मानव सहित गगनयान मिशन को लॉन्च करने से पहले इसके क्रू मॉड्यूल को सही-सलामत उतारने की तैयारियां पूरी कर ली हैं. इसरो के मुताबिक, क्रू मॉड्यूल यानी अंतरिक्ष यात्री और चालक बचाव प्रणाली से लैस एकल-चरण तरल प्रणोदन रॉकेट को शनिवार सुबह 8 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के पहले प्रक्षेपण तल से लॉन्च किया जाएगा.
Mission Gaganyaan:
— ISRO (@isro) October 20, 2023
TV-D1 Test Flight
The countdown leading to the launch at 08:00 Hrs. IST on October 21, 2023, has commenced.
Brochure: https://t.co/2A5nlqEb2I#Gaganyaan
क्या है गगनयान मिशन की परीक्षण उड़ान का उद्देश्य
दरअसल, इसरो गगनयान मिशन की परीक्षण उड़ान से अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर वापस लाने के लिए क्रू मॉड्यूल और चालक बचाव प्रणाली के सुरक्षा मानकों का अध्ययन करना है. बता दें कि गगनयान मिशन का लक्ष्य 2025 में इंसान को अंतरिक्ष में 400 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना है. इसके बाद उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस भी लाना है. इस मिशन में तीन दिनों का वक्त लगेगा.
यहां से देखें लाइव
अगर आप भी इसरो के गगनयान मिशन की परीक्षण उड़ान का लाइव प्रसारण देखना चाहते हैं तो इस लिंक https://www.youtube.com/watch?v=BMig6ZpqrIs पर क्लिक करें आप भी इसका लाइव प्रसारण देख सकते हैं.
गगनयान मिशन की पहली टेस्ट लॉन्चिंग को तकनीकी खराबी के चलते शनिवार (21 अक्टूबर) को लॉन्च नहीं किया जा सका. इसरो अब इसकी जांच करेगा. उसके बाद मिशन को दोबारा से टेस्टिंग के लिए लॉन्च किया जाएगा.
#WATCH | Gaganyaan’s First Flight Test Vehicle Abort Mission-1 (TV-D1) launch put on hold at 5 seconds
— ANI (@ANI) October 21, 2023
ISRO chief S Somnath says, "The lift-off attempt could not happen today...engine ignition has not happened in the nominal course" pic.twitter.com/4eLOyhAZ6c
गगनयान मिशन की टेस्ट लॉन्चिंग पर क्या बोलो इसरो प्रमुख
गगनयान मिशन की पहली टेस्ट उड़ान को रोक दिया गया. इस पर इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट आज नहीं हो पाई है. पहले लॉन्चिंग सुबह 8 बजे होनी थी, मगर बिगड़े मौसम की वजह से लॉन्चिंग का टाइम 8.45 पर किया गया. उन्होंने बताया कि इंजन सही तरीके से प्रज्वलित नहीं हो पाया. इसरो चीफ ने कहा कि, हम ये पता लगा रहे हैं कि आखिर उसके साथ क्या गड़बड़ हुई है. उन्होंने कहा कि रॉकेट के साथ लगाया गया व्हीकल सुरक्षित है. हम लॉन्चिंग साइट पर जा रहे हैं, ताकि देखा जा सके कि क्या गड़बड़ हुई है. हम विश्लेषण करने के बाद जल्द ही लौटेंगे.
इसरो ने रोकी गगनयान की पहली टेस्ट लॉन्चिंग
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने शनिवार को होने वाली गगनयान की पहली टेस्टिंग उड़ान को रोक दिया है. इस मिशन को पहले सुबह 8 बजे लॉन्च करना था, लेकिन खराब मौसम के चलते इसे आधे घंटे के लिए टाल दिया गया और उसके बाद इसे 8.30 बजे लॉन्च करना था, लेकिन मौसम खराब होने की वजह से मिशन को 8.45 बजे लॉन्चिंग के लिए तैयार किया गया. लेकिन लॉन्चिंग के मात्र 5 सेकंड पहले ही मिशन को फिर से रोक दिया गया.
ऐसे पूरा होगा गगनयान मिशन का पहला टेस्ट पूरा
गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट को अब 8.30 बजे लॉन्च किया जाएगा. मिशन की लॉन्चिंग के बाद रॉकेट क्रू मॉड्यूल को लेकर 11.7 किमी की ऊंचाई पर जाएगा. यहां पर टेस्ट व्हीकल यानी रॉकेट से क्रू एस्केप सिस्टम को अलग किया जाएगा. जो क्रू मॉड्यूल का ही हिस्सा है. 90 सेकेंड के बाद क्रू मॉड्यूल क्रू एस्केप सिस्टम से अलग होगा. उसके बाद इसमें से पैराशूट बाहर आएंगे और इसकी रफ्तार को कम कर देंगे. उसके बाद लगभग सात मिनट में ये श्रीहरिकोटा के तट से 10 किमी दूर लैंड करेगा. जहां से भारतीय नौसेना का एक जहाज और गोताखोरों की एक टीम वहीं पहुंचेगी. जो क्रू मॉड्यूल को वापस तट पर लेकर आएगी.
अब 8.30 बजे लॉन्च की जाएगी टेस्ट फ्लाइट
गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट के समय में थोड़ा सा बदलाव किया गया है. इस टेस्ट फ्लाइट की लॉन्चिंग सुबह 8 बजे सतीश धवन स्पेस सेंटर से की जानी थी, लेकिन इसरो ने अब इसे बढ़ाकर 8.30 बजे कर दिया है. यानी गगनयान टेस्ट फ्लाइट अब आधे घंटे की देरी से लॉन्च की जाएगी.
लॉन्च के दौरान इस बात का रहता है सबसे अधिक खतरा
बता दें अंतरिक्ष में जाने वाला हर मिशन चुनौती पूर्ण होता है. फिर ये मानव रहित हो या फिर इंसानों के साथ. क्योंकि मानवरहित मिशन तैयार करने में भी वैज्ञानिकों को लंबा वक्त लगता है और एक छोटी सी चूक उनकी सालों की मेहनत पर पानी फेर सकती है. जबकि मानवसहित मिशन में इंसान की जान बेहद कीमती होती है. ऐसे में जब किसी रॉकेट को स्पेश में लॉन्च किया जाता है तो क्रू कैप्सूल में बैठे हुए एस्ट्रोनोट्स की सुरक्षा सबसे अहम होती है, जो उनके लिए खतरा भी होती है. अगर किसी खामी की वजह से मिशन को अबोर्ट यानी रद्द करना पड़े तो अंतरिक्षयात्रियों की सुरक्षित वापसी जरूरी होती है. गगनयान मिशन की टेस्टिंग से इसरो इसी सुरक्षा पर काम कर रहा है.
पीएम मोदी ने किया था गगनयान की तिथि को लेकर ऐलान
बता दें कि गगनयान मिशन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था. पीएम मोदी ने 15 अगस्त 2018 को इस मिशन की घोषणा की थी. इस मिशन के लिए 2022 तक की डेडलाइन रखी गई थी, लेकिन कोविड महामहारी और उसकी वजह से पैदा हुआ हालातों से इस मिशन को तय समय पर लॉन्च नहीं किया जा सका. उसके बाद इसकी तारीख को बढ़ा दिया गया. इसरो ने एस्ट्रोनोट्स की सुरक्षा का हवाला देते हुए इस 0मिशन की तारीख को 2025 तक के लिए बढ़ा दिया.
मानवरहित टेस्ट फ्लाइट से क्या होगा इसरो को फायदा?
बता दें कि गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट को इंसान के बिना ही लॉन्च किया जा रहा है. जिसमें एलवीएम3 रॉकेट के जरिए सेफ्टी सिस्टम के साथ क्रू कैप्सूल को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. ये क्रू कैप्सूल बिल्कुल असली जैसा ही होगा. इस टेस्ट फ्लाइट के जरिए इसरो स्पेस में मिशन को भेजने के बाद रद्द करने या बीच से ही वापस बुलाने की स्थिति में क्रू कैप्सूल और सेफ्टी सिस्टम के जरिए एस्ट्रोनोट्स को सुरक्षित बचाने के पूरे सिस्टम की जांच करना है. इस सिस्टम को 'क्रू एस्केप सिस्टम' (CES) नाम दिया गया है.
जानिए क्या है क्रू मॉड्यूल, जिसपर काम कर रहा इसरो
दरअसल, किसी मानव सहित मिशन को अंतरिक्ष में भेजने के लिए अंतरिक्षयात्रियों के लिए तैयार किए गए पृथ्वी जैसे वातावरण को क्रू मॉड्यूल कहते हैं. जो स्पेश में इंसान को पृथ्वी जैसी फीलिंग करता है जिसमें अंतरिक्ष यात्री रहते हैं. इस मॉड्यूल के भीतर प्रेशर को कंट्रोल किया जाता है. साथ ही इसे ऐसे डिजाइन किया जाता है जिससे अंतरिक्ष के हालातों से एस्ट्रोनोट्स को बचाया जा सके. इसरो गगनयान मिशन के पहली टेस्ट फ्लाइट के जरिए क्रू मॉड्यूल के मूल्यांकन के लिए कई सारे फ्लाइट डाटा को एकत्रित करेगा. इसके अलावा इस टेस्ट मिशन से अन्य सिस्टमों की भी जांच की जाएगी.
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