कांग्रेस के G-23 समूह ने बदली रणनीति, चुनाव प्रचार की गेंद हाईकमान के पाले में
यदि आलाकमान जी-23 (G-23) के नेताओं से सुलह चाहेगा तो वह विधानसभा चुनावों में अपने स्टार प्रचारकों की सूची में जी-23 नेताओं को स्थान देगा.
highlights
- कांग्रेस के असंतुष्ट धड़े जी-23 ने चुनावों के मद्देनजर बदली रणनीति
- गुलाम नबी आजाद ने दिया कांग्रेस के लिए प्रचार करने का संकेत
- आलाकमान पर जी-23 नेताओं को स्टार प्रचारकों में शामिल करने का जिम्मा
नई दिल्ली:
जम्मू (Jammu) में जी-23 की बैठक कर कांग्रेस के शिखर नेतृत्व को आईना दिखाने वाले असंतुष्ट कांग्रेसी नेता पांच राज्यों में आसन्न विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के मद्देनजर अपनी रणनीति में बदलाव लाए हैं. कम से कम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के बयान से तो यही परिलक्षित हो रहा है. उन्होंने कहा है कि वह जहां भी जाएंगे पार्टी के लिए प्रचार करेंगे, जो कि जरूरी है. इसे अगर एक संकेत में समझा जाए तो यदि आलाकमान जी-23 (G-23) के नेताओं से सुलह चाहेगा तो वह विधानसभा चुनावों में अपने स्टार प्रचारकों की सूची में जी-23 नेताओं को स्थान देगा. माना जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद ने सोच-समझ कर पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करने की बात कही है. इसकी एक बड़ी वजह यही है कि जी-23 समूह नहीं चाहता है कि आसन्न विधानसभा चुनाव के प्रचार के बीच उनकी किसी गतिविधि से कोई गलत संदेश जाए.
गलत संदेश न जाए इसलिए टाला कुरुक्षेत्र
गौरतलब है कि जम्मू में शक्ति प्रदर्शन के बाद कांग्रेस के असंतुष्ट नेता हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में थे. इसकी जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा संभाल रहे थे, पर असंतुष्ट नेताओं के एक गुट का मानना है कि पांच राज्यों के चुनाव के बीच इस तरह के सम्मेलन से गलत संदेश जाएगा. उसके कई मायने निकाले जाएंगे. यहां यह गौर करने वाली बात यह भी है कि असंतुष्ट नेता लगातार यह दलील दे रहे हैं कि वे कांग्रेस को मजबूत देखना चाहते हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भी उन्होंने इसी संदर्भ में लिखा था. पर चुनाव के बीच पार्टी के अंदर अपनी ताकत का एहसास कराने से दूरियां और बढ़ सकती हैं. जम्मू में हुए कार्यक्रम पर पार्टी नेताओं ने सवाल उठाए थे.
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आजाद ने गेंद आलाकमान के पाले में डाली
असंतुष्ट नेताओं में शामिल एक नेता से जब यह पूछा गया कि क्या कांग्रेस की तरफ से उन्हें चुनाव प्रचार का कार्यक्रम भेजा गया है तो उन्होंने कहा कि अभी तक उन्हें नहीं मिला है. हालांकि असंतुष्ट नेताओं के कई बयानों के बाद इस बात की संभावना बेहद कम है कि कांग्रेस उन्हें चुनाव प्रचार का जिम्मा सौंपेगी. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जी-23 का हिस्सा गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता है और वह अपने साथियों के साथ मिलकर इस दिशा में काम करेंगे. आजाद ने कहा कि पार्टी हमें जहां भी भेजेगी या फिर उम्मीदवार जहां भी बुलाएंगे, वहां हम प्रचार करेंगे.
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सिंघवी के बयान के भी निहितार्थ
कांग्रेस को विधानसभा चुनावों के लिए अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी करना बाकी है जिसमें राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के शामिल होने की संभावना है. अब सभी की निगाहें आजाद के नेतृत्व वाले नेताओं के नामों पर हैं. अगर मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, भूपिंदर सिंह हुड्डा जैसे नेता इन्हें कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल करते हैं, तो इसका मतलब यह होगा कि पार्टी ने शांति बनाने की कोशिश की है. संभवतः पार्टी की जी-23 समूह के नेताओं पर सीधी टिप्पणी नहीं करने को इस दिशा में देखा जा सकता है. यही नहीं, पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने 2 मार्च को कहा था मुझे लगता है कि इस मोर्चे का पूरा विचार बीजेपी की ओछी राजनीति से लड़ना है. इसलिए मैं कहूंगा कि हमारे सभी वरिष्ठ और सम्मानित सहयोगियों को तहे दिल से शामिल होना चाहिए. बिना शर्त भाजपा के इस झूठे प्रचार से लड़ने चाहिए.
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कांग्रेस की साख है दांव पर
बता दें कि केरल की 140 विधानसभा सीटों, पुडुचेरी की 30 विधानसभा सीटों और तमिलनाडु की 234 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में 6 अप्रैल को चुनाव होने हैं, जबकि असम की 126 विधानसभा सीटों के लिए मतदान 27 मार्च, 1 अप्रैल और 6 अप्रैल को होगा. वहीं पश्चिम बंगाल में 294 विधानसभा सीटों पर आठ चरणों में चुनाव होने हैं जो 27 मार्च से शुरू होंगे और 29 अप्रैल तक चलेगी. मतों की गिनती 2 मई को होगी. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी के बीच में मुख्य मुकाबला है. इसके अलावा, तमिलनाडु में मुख्य मुकाबला सत्ताधारी एआईएडीएमके और डीएमके के बीच होगा.
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