सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं के खतना के खिलाफ याचिका पर आज सुनवाई, कोर्ट ने बताया था निजता था उल्लंघन
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था नाबालिग लड़कियों का खतना यानी महिला जननांग का छेदन करने की परंपरा संविधान के अनुच्छेद-21 और अनुच्छेद-15 का उल्लंघन है।
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट दाउदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में महिलाओं के साथ होने वाले खतना (Female Genital Mutilation) को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगी। इस पर कोर्ट में सुनवाई 9-10 अगस्त को चलेगी। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था नाबालिग लड़कियों का खतना यानी महिला जननांग का छेदन करने की परंपरा संविधान के अनुच्छेद-21 और अनुच्छेद-15 का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा था कि यह प्रक्रिया जीने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता, धर्म, नस्ल, जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव करता है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा था, 'यह संविधान के अनुच्छेद-21 का उल्लंघन है क्योंकि इसमें बच्ची का खतना कर उसको आघात पहुंचाया जाता है।'
केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि सरकार याचिकाकर्ता की दलील का समर्थन करती है कि यह भारतीय दंड संहिता (IPC) और बाल यौन अपराध सुरक्षा कानून (पोक्सो एक्ट) के तहत दंडनीय अपराध है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था, 'जब हम महिला अधिकार को लेकर सकारात्मक विचार रखते हैं तो फिर इसे कैसे बदला जा सकता है?' अदालत ने यह बात खतना पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए दायर की गई एक जनहित याचिका पर कही थी।
निजता के अधिकार का उल्लंघन
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह प्रथा न सिर्फ महिलाओं की निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है बल्कि यह लैंगिक संवेदनशीलता का भी मामला है। साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक भी हो सकती है।
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अदालत को बताया था कि इस परंपरा पर 42 देशों ने रोक लगा दी है, जिनमें 27 अफ्रीकी देश हैं। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता बताई है।
समर्थन पक्ष की दलील
वहीं इस मामले पर खतना के समर्थन में खड़े संगठन की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि खतना करने का इतना भी क्रूर भी नहीं है जितना इसे बताया जा रहा है।
और पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी 497 कानून पर जब पति होता है सहमत तो कहां चली जाती है महिला की पवित्रता
सिंघवी ने मामले को संविधान पीठ को भेजने की मांग करते हुए कहा था कि बोहरा समाज में यह चलन सदियों से चला आ रहा है और यह एक अनिवार्य धार्मिक नियम है। इस पर विस्तृत सुनवाई की जरुरत है।
आखिर क्या है महिलाओं का खतना?
इसमें महिला जननांग के एक हिस्से क्लिटोरिस को ब्लेड से काट कर खतना किया जाता है। वहीं कुछ जगहों पर क्लिटोरिस और जननांग की अंदरूनी स्किन को भी थोड़ा सा हटा दिया जाता है। ताकि उनमें सेक्स की इच्छा कम हो।
15 साल से कम उम्र की मुस्लिम लड़की का खतना किया जाता है। इस दौरान जननांग से काफी खून बहता है। मुस्लिम समुदाय के लोग इसे धार्मिक परंपरा बताकर सही ठहराने की कोशिश करते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, खतना चार तरीके का हो सकता है- पूरी क्लिटोरिस को काट देना, जननांग की सिलाई, छेदना या बींधना, क्लिटोरिस का कुछ हिस्सा काटना।
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