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पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी का ड्राइविंग लाइसेंस निकला फर्जी 

पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर का ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी निकला है। इसका खुलासा तब हुआ जब नूतन ठाकुर ने अपने लाइसेंस की अवधि एक्पायर्ड हो जाने के बाद उसे रिन्यू करवाने के लिए आगरा आरटीओ कार्यालय भेजा था

Updated on: 25 Jun 2022, 01:42 PM

नई दिल्ली:

पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर का ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी निकला है। इसका खुलासा तब हुआ जब नूतन ठाकुर ने अपने लाइसेंस की अवधि एक्पायर्ड हो जाने के बाद उसे रिन्यू करवाने के लिए आगरा आरटीओ कार्यालय भेजा था। जांच करने के बाद जारी किए गए लाइसेंस नंबर पर किसी और के नाम से लाइसेंस दर्ज था। विभाग में नूतन ठाकुर के नाम से कोई लाइसेंस दर्ज नहीं है। विभाग के अनुसार उनका नाम लखनऊ कार्यालय में दर्ज है। वहीं नूतन ठाकुर ने इस मामले में केस दर्ज कर जांच की मांग की है।

लखनऊ गोमती नगर की रहने वाले पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर ने आगरा में पोस्टिंग के दौरान वर्ष 2002 में आगरा आरटीओ कार्यालय ने अपना लाइसेंस बनवाया था। इस पर 117/एजी/06 संख्या दर्ज थी। यह लाइसेंस तीन जनवरी 2002 को जारी किया गया था, जिसकी अवधि दो जनवरी 2022 को समाप्त हो गई। आरटीओ कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि बीते दिनों नूतन ठाकुर ने किसी परिचित को आगरा भेजा था। जब विभाग में रिकॉर्ड खंगाला गया तो नूतन ठाकुर के नाम से जारी किए गए लाइसेंस नंबर पर किसी अन्य का नाम दर्ज पाया गया।

आरटीओ अधिकारियों के अनुसार उस दौरान कार्यालय के बाहर दलालों की बड़ी फौज रहती है। 2000 से 2008 के बीच बाहर से ही लाइसेंस बन जाते थे। पहले डिजिटल हस्ताक्षर और कैमरे के सामने आकर फोटो भी खिंचवाने की आवश्यकता नहीं थी। यही वजह रही होगी कि उनका लाइसेंस बाहरी व्यक्ति ने बनवा दिया होगा। एआरटीओ प्रशासन का कहना है कि 2000 से 2008 के बीच बनाए गए लाइसेंस में सबसे ज्यादा फर्जी मिल रहे हैं, तमाम शिकायतें मिल रही हैं। एआरटीओ प्रशासन अशोक कुमार सिंह का कहना है कि 2000 से 2008 के बीच बनाए गए लाइसेंस में बहुत से ऐसे लाइसेंस हैं। इनका ब्योरा विभाग के रिकॉर्ड में नहीं है। तमाम लोग इस परेशानी को लेकर अक्सर विभाग के चक्कर काट रहे हैं।

नूतन ठाकुर ने इस मामले में कहा कि उन्होंने अपना मूल ड्राइविंग लाइसेंस वर्ष 2002 के आसपास लखनऊ से बनवाया था। उन्होंने 2006 में पूरे पृष्ठ पर जारी पुराने फॉर्मेट के लाइसेंस के स्थान पर आइडेंटिटी कार्ड के साइज के ड्राइविंग लाइसेंस आगरा कार्यालय से बनवाया। उन्होंने इस ड्राइविंग लाइसेंस के फर्जी पाए जाने पर एफआईआर दर्ज कर विवेचना की मांग की है। जिसके लिए उन्होंने आगरा पुलिस को एक शिकायती पत्र भी भेजा है.