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Make In India : मोदी ने किया ऐसा काम, विदेशों में मची भारतीय प्रोडक्ट्स की धूम

कोरोना काल में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित हुई थी. इससे भारत भी अछूता नहीं था. ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार ने छोटे से लेकर बड़े उद्योगों को फिर पटरी में लाने के लिए एक के बाद एक बड़े निर्णय लिए हैं.

Updated on: 13 Nov 2022, 09:03 AM

नई दिल्ली:

Make In India : कोरोना काल में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित हुई थी. इससे भारत भी अछूता नहीं था. ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार ने छोटे से लेकर बड़े उद्योगों को फिर पटरी में लाने के लिए एक के बाद एक बड़े निर्णय लिए हैं. इससे न सिर्फ उद्योगों को फिर से गति मिल रही है, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार देखने को मिल रहा है. पिछले दिनों केंद्र सरकार ने पर्यावरण संरक्षण से संबंधित एक बड़ा फैसला किया है.     

कोरोना महामारी के दौरान कपड़ा, पैकेजिंग उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा था. केंद्र ने कपड़ा उद्योग के लिए उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना शुरू की. इस योजना के तहत पांच साल के लिए कपड़ा से जुड़े व्यापारियों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. यह योजना 24 सितंबर 2021 से 31 मार्च 2030 तक चलेगी. पिछले दिनों मोदी सरकार द्वारा लिया गया फैसला सीधे-सीधे पैकेजिंग इंडस्ट्री को प्रभावित करने वाला है. 

पिछले महीने जारी आदेशानुसार, पैकेजिंग इंडस्ट्री से जुड़े प्रोड्यूसर्स को कहा गया था कि यह तो वह ग्राहकों से पैकेजिंग से जुड़े उत्पाद वापस जमा कराएं या फिर उसे रिसाइकल कराएं. कहा जा रहा था कि इस उद्योग पर सरकार के इस आदेश का असर पड़ सकता है, लेकिन सामने आ रहे आंकड़े के अनुसार, उससे भारत का इस क्षेत्र में एक बार फिर दुनिया में दबदबा साबित हो गया.

रोजगार के भी बढ़ रहे अवसर 

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह किसी एक व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि फार्मास्यूटिकल, इंजीनियरिंग और खान-पान से लेकर रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट की पैकेजिंग की मांग भी बढ़ रही है. साथ ही इससे रोजगार के विकल्पों में भी बढ़ोत्तरी हो रही है. 

जानें भारतीय अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी

भारतीय अर्थव्यवस्था में अगर इस उद्योग का हिस्सा देखें तो यह 5वें नंबर पर आता है. रिटेल फार्मा और मैन्यूफैक्टरिंग जैसे क्षेत्र से लेकर यह उद्योग 15 फीसदी वार्षिक की दर से वृद्धि कर रहा है. एक आंकड़े में बताया गया है कि यह उद्योग वर्ष 2025 तक 32 अरब डॉलर सालाना का बन जाएगा.