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गुजरात के स्कूल सिलेबस में भगवद गीता शामिल होने के फैसले पर इन राज्यों में भी उठी मांग   

महाराष्ट्र और बिहार में राजनीतिक दल मुखर होकर इसके लिए आवाज उठाने लगे हैं. इसी तरह कर्नाटक के स्कूलों में भगवद गीता की पढ़ाई शुरू हो सकती है.

Updated on: 22 Mar 2022, 04:29 PM

highlights

  •  महाराष्ट्र में भाजपा नेता अतुल भातखलकर ने कहा कि महाराष्ट्र के स्कूलों में भगवद गीता पढ़ाई जानी चाहिए
  • कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि भाजपा मूल मुद्दों से ध्यान हटाकर गीता की बात कर रही है

नई दिल्ली:

Bhagwat Gita in school syllabus: गुजरात सरकार ने नए शिक्षण सत्र से माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के सिलेबस में भगवद गीता (Bhagwat Gita) को जोड़ने का फैसला लिया है. इस फैसले के तहत शैक्षणिक सत्र 2022-23 से कक्षा छठवीं से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में भगवद गीता को शामिल किया जाएगा. इस फैसले के बाद से कई अन्य राज्यों में भी स्कूलों में भगवद गीता को शामिल करने की मांग उठने लगी है. महाराष्ट्र और बिहार में राजनीतिक दल मुखर होकर इसके लिए आवाज उठाने लगे हैं.  महाराष्ट्र में भाजपा नेता अतुल भातखलकर ने कहा कि महाराष्ट्र के स्कूलों में भगवद गीता पढ़ाई जानी चाहिए.भाजपा की मांग है, लेकिन शिवसेना हिंदुत्व छोड़ चुकी है.

वहीं इस पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि भाजपा मूल मुद्दों से ध्यान हटाकर गीता की बात कर रही है लेकिन भाजपा के लोगों को खुद गीता का सार पढ़ना चाहिए. इंस्टीट्यूशन को धार्मिक विवाद का अड्डा नहीं बनना चाहिए. बिहार में भाजपा प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि हम लोग सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की स्थापना करना चाहते हैं. गुजरात सरकार ने स्कूलों में बच्चों को गीता पढ़ाने का जो निर्णय लिया है, हम लोग उसका स्वागत करते हैं. यह बिहार समेत पूरे देश के स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए.

इसी तरह कर्नाटक के स्कूलों में भगवद गीता की पढ़ाई शुरू हो सकती है. इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने को लेकर चर्चा जारी है. कर्नाटक के शिक्षा मंत्री वीसी नागेश ने सोमवार को कहा कि इसको लेकर एक कमेटी बनाई जाएगी. कमेटी ये फैसला करेगी कि क्या राज्य के स्कूलों के सिलेबस में इसे शामिल किया जाए या नहीं.

गुजरात सरकार की तैयारी

गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतू वाघानी ने हालिया बजट सत्र के दौरान भगवद गीता को सिलेबस का भाग बनाने का ऐलान किया था. वाघानी के अनुसार इस निर्णय का मकसद छात्रों को भारत की समृद्ध और विविधतापूर्ण संस्कृति के बारे बताना है. गौरतलब है कि अब 6वीं से 8वीं क्लास तक गीता नैतिक शिक्षा का हिस्सा होगी. वहीं कक्षा 9 से 12 तक यह प्रथम भाषा में किताबों में शामिल होगी. भगवद गीता को लेकर अलग से कोई विषय नहीं होगा, बल्कि कई विषयों में इसके पाठ को जोड़ा जाएगा. भगवद गीता के मूल्यों और उसूलों को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के भी अनुरूप है.