भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है G-7 बैठक में शामिल होना, ब्रिटेन से मिला है न्योता
ब्रिटेन के तरफ G-7 समूह की आगामी बैठक में शामिल होने के लिए भारत को भी निमंत्रण भेजा है. जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं.
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ब्रिटेन के तरफ G-7 समूह की आगामी बैठक में शामिल होने के लिए भारत को भी निमंत्रण भेजा है. जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं. इसे ग्रुप ऑफ़ सेवन भी कहते हैं. G-7 समूह की आगामी बैठक की मेजबानी ब्रिटेन करेगा। इससे पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन खुद भी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने के लिए अपनी हामी भरी है.
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत के आलावा ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को भी आगामी जी-7 बैठक में शामिल होने के लिए न्योता दिया है. बात दें कि पिछले कुछ महीनों से भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद के मद्देनजर इस निमंत्रण को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. विदेश मामलों के जानकर का मन्ना है कि इस बैठक में सदस्य देश और भारत-ऑस्ट्रेलिया-दक्षिण कोरिया मिलकर चीन की विस्तारवादी और आक्रामक नीति को काउंटर करने पर विचार कर सकते हैं. एक्सपर्ट जी-7 की बैठक में भारत को आमंत्रित किए जाने को एक बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं. बता दें कि भारत और ब्रिटेन के बीच उभरते सकारात्मक माहौल के बीच जॉनसन दूसरे ऐसे ब्रिटिश प्रधानमंत्री हैं जो गणतंत्र परेड में शामिल होंगे. इससे पहले, साल 1993 में ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री जॉन मेजर गणतंत्र दिवस की परेड का हिस्सा बने थे.
G-7 क्या है?
जी-7 जिसे ग्रुप ऑफ़ सेवन कहते हैं वो दुनिया की सात सबसे बड़ी विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं. जी-7 खुद को "कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज" यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है. इसके प्रमुख सिद्धांत स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत विकास है.
जी-7 क्या करता है?
अपने शुरुआत के दिनों में यह छह विकसित देशों का समूह था और इसकी पहली बैठक 1975 में आयोजित की गयी थी. इसके अगले साल कनाडा इस समूह में शामिल हो गया और इस तरह यह जी-7 बन गया. जी-7 देशों के मंत्री और नौकरशाह आपसी हितों के मामलों पर चर्चा करने के लिए हर साल मिलते हैं. जी-7 के सभी सदस्य देश बारी-बारी से इस समूह की अध्यक्षता करता है और दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है. प्रत्येक वर्ष शिखर सम्मेलन के अंत में एक सूचना जारी की जाती है, जिसमें सहमति वाले बिंदुओं का जिक्र होता है.
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है
भारत चीन सीमा विवाद के बीच ब्रिटिश प्रधानमंत्री का मुख्या अतिथि के रूप में भारत का दौरा और जी-7 में भारत को आमंत्रित करना बेहद की ख़ास माना जा रहा है. जर्मनी और फ्रांस के बाद, यूरोप के बाकी देशों का इंडो-पैसेफिक में दिलचस्पी लेना और भारत से करीबी बढ़ना जाहिर तौर पर चीन के लिए चिंता की बात है. प्रधानमंत्री जॉनसन कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि वो लोकतांत्रिक देशों के साथ काम करने के इच्छुक हैं ताकि साझा हितों को आगे बढ़ाया जा सके और साथ ही साझा चुनौतियां से निपटा जा सके. इन दिनों ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब भी भारत के दौरे पर हैं और जॉनसन के दौरे से पहले भारत-ब्रिटेन के संबंधों में व्यापार समेत तमाम क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. ब्रिटेन भारत को दुनिया की सबसे बड़ी फार्मेसी मानता है और भारत दुनिया की कुल वैक्सीन का 50 फीसदी उत्पादन करता है. जाहिर तौर पर भारत और यूके के बीच इन सभी सकारात्मक क़दमों को जानकार एक उपलब्धि के रूप में देख रहे हैं.
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