Aditya-L1: देश का पहला सूर्य मिशन प्रक्षेपित होने को तैयार, इसरो के लिए ये होंगी चुनौतियां
Aditya-L1: ‘आदित्य-एल1’ को दो सितंबर को पूर्वाह्न 11:50 बजे पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा.
नई दिल्ली:
सूर्य के अध्ययन को लेकर शनिवार को भारत का पहला सूर्य मिशन ‘आदित्य-एल1’ प्रक्षेपित होने को तैयार है. इस मिशन के माध्यम से वीईएलसी उपकरण ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ’ भेजा जाएगा. ये पेलोड है, जिसके माध्यम केंद्र को हर दिन 1,440 तस्वीरों को भेजा जा सकेगा. इस तरह के सात पेलोड हैं, जो सूर्य के अध्ययन में कारगर होंगे. इसे बेंगलुरु के नजदीक होसकोटे में भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (आईआईए) के क्रेस्ट (विज्ञान प्रौद्योगिकी अनुसंधान और शिक्षा केंद्र) परिसर में इसरो के जरिए छोड़ा जाएगा.
‘आदित्य-एल1’ को दो सितंबर को पूर्वाह्न 11:50 बजे पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा. यह सूर्य का अध्ययन करने को लेकर अपने साथ पेलोड ले जाएगा. ये चार सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे. वहीं शेष तीन उपकरण प्लाज्मा एवं चुंबकीय क्षेत्र के यथास्थान मापदंडों को मापेंगे. इसे ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु-1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा स्थापित किया जाएगा. ये सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है.
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चैनल से हर मिनट एक तस्वीर आएगी
आदित्य एल1 की परियोजना वैज्ञानिक और वीईएलसी की संचालन प्रबंधक डॉ.मुथु प्रियाल ने जानकारी दी है कि चैनल से हर मिनट एक तस्वीर आएगी यानी 24 घंटे में लगभग 1,440 तस्वीर हमें जमीनी स्टेशन पर प्राप्त होंगी. आदित्य-एल1 को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने की योजना है. बता दें कि इसकी कक्षा का उन्नयन भी होगा. पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर आकर सूर्य के करीब एल-1 प्वाइंट की ओर सफर आरंभ किया जाएगा.
आदित्य-एल1 को करीब चार माह का समय लगेगा
लॉन्च से एल1 तक की यात्रा में आदित्य-एल1 को करीब चार माह का समय लगेगा. इस दौरान धरती की दूरी करीब 15 लाख किलोमीटर तक की होने वाली है. पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3.84 लाख किमी है. इसरो के अनुसार, एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य को देखने का प्रमुख लाभ मिलता है. इससे रियल टाइम में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर प्रभाव का अध्ययन करना आसान होगा.
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