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ठंड बढ़ते ही फिर हुई कोरोना की एंट्री, तेजी से बढ़ रहे मामले, जानें विशेषज्ञों ने बच्चों और बुजुर्गों के लिए क्या दी सलाह

देश ने कोविड के आतंक को झेला है जिसके बारे में सुनकर लोगों की रूह कांप जाती है. जिस तरह से मामला सामने आ रहा है वह अपने आप में हैरान करने वाला है.

Updated on: 30 Oct 2023, 09:27 PM

नई दिल्ली:

देश में अचानक से कोरोना के मामले सामने आने लगे हैं. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि स्थिति फिर से गंभीर हो सकती है. आपको बता दें कि देश ने कोविड के आतंक को झेला है जिसके बारे में सुनकर लोगों की रूह कांप जाती है. जिस तरह से मामला सामने आ रहा है वह अपने आप में हैरान करने वाला है. हालांकि, डॉक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि इन बढ़ते आंकड़ों से डरने की कोई बात नहीं है. एक मीडिया हाउस बात करते हुए एनटीएजीआई के कोविड कार्यकारी समूह के प्रमुख डॉ. एन.अरोड़ा को कोविड पर अपना बयान दिया है.

क्या फिर से कोरोना मचायाएगा आतंक?

उन्होंने कहा कि ओमीक्रॉन के एक रूप एक्सबीबी के कारण मामले बढ़े हैं और इसके कई उप-वेरिएंट हैं. फिलहाल जो संक्रमण फैल रहा है वह बहुत हल्का है. इस वेरिएंट से संक्रमित लोग 4-5 दिन में ठीक हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसमें कोई व्यक्ति कम ही बीमार पड़ सकता है. अस्पताल में किसी भी मरीज को भर्ती नहीं किया गया है और न ही किसी की मौत हुई है.

डॉक्टर अरोड़ा ने कहा कि अगर किसी की तबीयत खराब हो सकती है तो बुजुर्ग लोगों की हो सकती है. उनका स्वास्थ्य खराब हो सकता है. उन्होंने कहा कि आंकड़े बढ़ सकते हैं लेकिन ये कोई लहर या तीसरी लहर नहीं होगी.

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अबतक कितने मिले म्यूटेंट?

उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिनों में करीब 450 तरह के म्यूटेंट मिले हैं. यह म्यूटेंट अधिक संक्रामक है लेकिन इतना गंभीर नहीं है. अगर मामले तेजी से बढ़ रहे हैं तो चिंता करने की जरूरत नहीं है. डॉक्टर अरोड़ा ने कहा कि 27-28 फीसदी लोग बूस्टर डोज ले चुके हैं.

अगर किसी बुजुर्ग ने नहीं लिया है तो जल्द से जल्द ले लें. साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों में संक्रमण वैसा ही रहेगा जैसा पिछले तीन साल में रहा है. बच्चों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.

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बच्चो पर कैसा होगा असर?

बच्चों को लेकर उन्होंने आगे कहा कि बच्चों में संक्रमण तो होता है लेकिन उनमें या तो कोई लक्षण नहीं दिखते या फिर हल्के लक्षण होते हैं. अगर बच्चे को कोई पुरानी बीमारी है तो कोरोना से संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है. राष्ट्रीय नीति के अनुसार, 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए टीका हमारे कार्यक्रम में है.