शादी से पहले कुंडली की जगह करा लें मेडिकल चेकअप, नहीं तो हो सकती है ये खतरनाक बीमारी
एक समय था, जब शादी से पहले लड़के और लड़की को मिलने की इजाजत नहीं थी और उनकी शादी सिर्फ कुंडली के गुण मिलाकर तय कर दी जाती थी.
नई दिल्ली:
एक समय था, जब शादी से पहले लड़के और लड़की को मिलने की इजाजत नहीं थी और उनकी शादी सिर्फ कुंडली के गुण मिलाकर तय कर दी जाती थी. लेकिन, अब जमाना काफी बदल गया है. अब लड़के और लड़कियां शादी से पहले अपने साथी को अच्छी तरह जानना चाहते हैं. अब शादी की तैयारियों में अब मेडिकल टेस्ट भी शामिल हो गया है. आप सोचते होंगे कि आखिर शादी का मेडिकल चेकअप से क्या लेना-देना है.
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आपको बता दें कि शादी के बाद कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स हो जाती हैं. इसका खामियाजा आगे चलकर दोनों पार्टनर को भुगतना पड़ता है. कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में दो करोड़ 70 लाख कपल्स बांझपन की समस्या से पीड़ित हैं. बदलती जीवनशैली से आजकल कई बीमारियां कम उम्र में ही शरीर को घेर लेती हैं. अगर इन सभी बीमारियों का पता शादी से पहले चल जाए, तो उनसे बचना या उनका इलाज करना बेहद आसान हो सकता है.
शादी से पहले कुछ मेडिकल चेकअप कराने से आनुवंशिक और संक्रामक बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. किसी भी कपल के लिए शादी उसके जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट होता है, इसलिए सभी को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वे अन्य चीजों के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें.
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एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि लोगों को कुंडली मिलान के बजाय हेल्थ चेकअप पर जोर देना चाहिए. प्रीमैरिटल चेकअप से कपल्स को एक-दूसरे की सही देखभाल करने में मदद मिलती है. हालांकि हर इंसान को साल में एक बार हेल्थ चेकअप कराना चाहिए, लेकिन अगर आपको शादी होने वाली है तो आपको छह महीने पहले चेकअप करा लेना चाहिए.
यौन संचारित रोग
एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी जैसे रोगों को अगर सही तरह मैनेज नहीं किया तो ये जीवनभर पीछा नहीं छोड़ते हैं. इससे आपका वैवाहिक जीवन प्रभावित हो सकता है, इसलिए आपको सिफलिस, गोनोरिया और हर्पीज का चेकअप करा लेना चाहिए.
इनहेरिटेड डिजीज
हीमोफिलिया, थैलेसीमिया, मारफान सिंड्रोम, हंटिंगटन की बीमारी और सिकल सेल जैसी रक्त जनित बीमारियों के होने की संभावना अधिक होती है, इसलिए इनका परीक्षण किया जाना चाहिए.
फर्टिलिटी
यह टेस्ट बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं से आपका जीवन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. यह स्थिति मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और भावनात्मक रूप से पीड़ादायक साबित हो सकती है.
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