Health Concern: बुढ़ापे का ख्याल हेल्थ पर डाले बुरा असर, Stress से लड़ने की शक्ति भी करे कम
हम जैसा सोचते है वैसा ही असर हमारी हेल्थ पर होता है. इसलिए, ज्यादातर आपने लोगों को कहते सुना होगा कि पॉजिटिव सोचो. इससे हेल्थ पर भी पॉजिटिव इफेक्ट्स देखने को मिलेंगे. पहले तो ये सिर्फ लोग कहते थे. लेकिन, अब स्टडी में भी सामने आया है.
नई दिल्ली:
हम जैसा सोचते है वैसा ही असर हमारी हेल्थ पर होता है. इसलिए, ज्यादातर आपने लोगों को कहते सुना होगा कि पॉजिटिव सोचो. इससे हेल्थ पर भी पॉजिटिव इफेक्ट्स देखने को मिलेंगे. पहले तो ये सिर्फ लोग कहते थे. लेकिन, अब स्टडी में भी सामने आया है. जहां ये पता चला है कि बुढ़ापे (feelings in old age) में निगेटिव बातों का एहसास फिजिकल हेल्थ पर बहुत इफेक्ट डालता है. इसके साथ ही ये स्ट्रेस से लड़ने की कैपेसिटी को भी इफेक्ट करता है. ये एक रिसर्च (research 2022) में पब्लिश हुआ है.
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रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका के ऑरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी (OSU) के रिसर्चर्स ने 100 दिन से ज्यादा के टाइम पीरियड में बूढ़े लोगों (research on old age group) के रोजाना सर्वे डेटा की स्टडी की. जिसमें पाया गया कि अपने बुढ़ापे को लेकर जो लोग पॉजिटिव सोच रहे थे. उन्हें स्ट्रेस कम था. वहीं, जो लोग अपने बुढ़ापे को लेकर निगेटिव सोच रहे थे. उनमें स्ट्रेस लेवल बहुत ज्यादा पाया गया.
ओएसयू के कॉलेज ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ह्यूमन साइंस की रिसर्चर या स्टडी की मेन राइटर का कहना है कि बुढ़ापे के बारे में अच्छी फीलिंग्स आपकी हेल्थ पर बहुत इंपेक्ट करती हैं. इसमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितना स्ट्रेस झेलते हैं. उन्होंने कहा कि स्ट्रेस को लेकर की गई रिसर्च में पाया गया है कि रोजाना और लंबे टाइम से झेल रहे स्ट्रेस का असर हेल्थ पर कई सिंप्टम्स (negative feelingsaffect health) के रूप में दिखते हैं. इनमें हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज और कॉग्निटिव एबिलिटी का डेप्रिसिएशन शामिल है.
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आपको बता दें कि ये सर्वे ऑनलाइन किया गया था. जिसमें 52 से 88 साल की उम्र के 105 बूढ़े लोग शामिल थे. इस दौरान उनकी लाइफ और सोसाइटी से जुड़े एक्सपीरिएंसिज को जानने की कोशिश की गई. इसके बेस पर ही अजम्पशन बेस्ड स्ट्रेस और हेल्थ पर पड़े रहे उसके इंपेक्ट का 100 तक असेस्मेंट किया गया. इसके साथ ही उनसे बुढ़ापे को लेकर भी कई सवाल पूछे गए.
स्टडी के दौरान ये पाया गया कि जिन लोगों में बुढ़ापे को लेकर बुरे ख्याल थे. उनमें अजम्पशन बेस्ड स्ट्रेस का लेवल बहुत ज्यादा था. वहीं, पॉजिटिव फीलिंग्स वाले लोगों में बीमारियों के बहुत कम सिम्प्टम्स थे. जाहिर है कि जिन लोगों में बुढ़ापे को लेकर ज्यादा निगेटिव फीलिंग्स थी. उस दिन रोजाना के कंपैरिजन में हेल्थ रिलेटिड प्रॉब्लम्स के सिम्पटम्स भी तीन गुना थे. दूसरे शब्दों में कहें तो बुढ़ापे की पॉजिटिव फीलिंग्स स्ट्रेस का हेल्थ पर पड़ने वाले इफेक्ट के खिलाफ पॉजिटिव असर पैदा करती हैं.
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