लगातार ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों में बढ़ रही है आंखों की बीमारी
इसे डिजिटल आई स्ट्रेन या कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम के नाम सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है. आंख के चिकित्सकों की मानें तो इस बीमारी का खतरा बच्चों और किशोरों में काफी बढ़ गया है.
highlights
- लगातार ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ना शुरू हो गया है
- लगातार फोन की स्क्रीन देखने से बच्चों में आई स्ट्रेन नाम की बीमारी बढ़नी शुरू हो गई है
- इस बीमारी की वजह से तनाव और अनिद्रा की समस्या हो जाती है
नई दिल्ली:
कोरोना वायरस की महामारी ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, कोरोना का फैलाव रोकने के लिए पहले लॉकडाउन फिर कोरोना कर्फ्यू लगाया गया. इस महामारी ने ना जाने कितने लोगों की जिंदगियां छिन ली. इस दौरान स्कूल भी बंद कर दिए गए ताकि बच्चों में कोरोना का संक्रमण न फैलने पाए. कोरोना के संक्रमण के बचाव के लिए स्कूल कॉलेज तो बंद हो गए लेकिन बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए ऑनलाइन क्लासेज शुरू हो गईं. वीडियो कॉलिंग एप्स का इस्तेमाल करके बच्चों की पढ़ाई शुरू करा दी गई लेकिन लगातार ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ना शुरू हो गया है. फोन की स्क्रीन एकटक देखने की वजह से बच्चों में आई स्ट्रेन नाम की बीमारी बढ़नी शुरू हो गई है. इसे डिजिटल आई स्ट्रेन या कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम के नाम सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है. आंख के चिकित्सकों की मानें तो इस बीमारी का खतरा बच्चों और किशोरों में काफी बढ़ गया है. यह डिजिटल उपकरणों के अधिक इस्तेमाल के कारण होता है.
बच्चे और किशोर में बढ़ा खतरा
आपका बच्चा अगर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है तो लगातार स्क्रीन पर देखने की वजह से उसे यह बीमारी हो सकती है. इस बीमारी की वजह से तनाव और अनिद्रा की समस्या हो जाती है. यही नहीं, आंखों में दर्द होने लगता है. इस बीमारी से ग्रसित होने पर आंखों में खिंचाव महसूस होता है. आंखें लाल हो जाती हैं और भारीपन और थकान महसूस होता है. यही नहीं कभी-कभी आंखों से धुंधला भी दिखाई देने लगता है. दीनदयाल नगर स्थित काशी नेत्र सदन के सर्जन डॉक्टर विपुल कांत केशरी बताते हैं कि यह जरूरी है कि डिजिटल उपकरण का उपयोग करते समय पलकों को झपकाते रहें और डेढ़ दो घंटे लगातार इस्तेमाल करने के बाद 5 से 10 मिनट दूर की चीजों को देखें. साथ ही साथ आंखों को बंद करके हल्का मसाज दें.
कैसे करें बचाव
डॉक्टर विपुल कांत ने आगे बताया कि डिजिटल डिवाइस का ज्यादा इस्तेमाल करने वालों के लिए बाजार में विशेष प्रकार के एंटी ग्लेयर ग्लासेस भी उपलब्ध हैं जो कि उपकरणों से निकलने वाले प्रकाश के ब्लू स्पेक्ट्रम को बहुत हद तक रोकने में सक्षम है. उन्होंने बताया कि ब्लू स्पेक्ट्रम की वजह से ही आंखों में थकान पैदा होती है. ऐसे में पलक झपकाते रहना भी जरूरी है. उन्होंने आगे कहा कि इससे बचाव के लिए सावधानी बेहद जरूरी है, इसके लिए डिजिटल स्क्रीन और आंखों के बीच उचित दूरी मेंटेन रखें. यह दूरी कम से कम 1 फीट जरूर हो. साथ ही स्क्रीन की ब्राइटनेस को भी कम रखें. जिस कमरे में पढ़ाई करनी हो वहां पर्याप्त रोशनी रखें. डिजिटल उपकरणों पर लगातार देखते रहने से पलकों के झपकने की दर प्रति मिनट कम हो जाती है.जिससे आंखों में सूखापन और उसके बाद पानी आने लगता है.
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