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Jungle Cry Review:सपनों को उड़ान देने वाली Jungle Cry, बहुत कुछ सिखाती है यह स्पोर्ट्स ड्रामा

बारह आदिवासी बच्चों की यह एक अविश्वसनीय और प्रेरक सच्ची कहानी है. उनके पास जूते, भोजन, आश्रय, सुरक्षा कुछ नहीं था.

Updated on: 02 Jun 2022, 07:16 PM

highlights

  • दो कोचों और 12 लड़कों के बारे में अभी तक अनकही कहानी पर आधारित है ये फिल्म
  • फिल्म के जरिए बताया गया है कि टीम वर्क कितना जरूरी है
  • फिल्म दर्शकों के लिए अंग्रेजी और हिंदी-दोनों भाषाओं में उपलब्ध है

नई दिल्ली:

Jungle Cry Review: जंगल क्राई एक स्पोर्ट्स ड्रामा है जो एक सच्ची कहानी पर आधारित है. यह दो कोचों और 12 लड़कों के बारे में अभी तक अनकही कहानी पर आधारित है. उन्हें रग्बी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. फिर भी, 2007 के अंडर -14 रग्बी विश्व कप में अपनी मेहनत के बल पर वे दुनिया की सबसे बड़ी टीम को हराकर जीत हासिल करते हैं. फिल्म दर्शकों के लिए अंग्रेजी और हिंदी-दोनों भाषाओं में उपलब्ध है. इस कहानी और फिल्म के जरिए बताया गया है कि टीम वर्क कितना जरूरी है और ये भी फिल्म से सीखने को मिलता है कि हमें हमेशा खुद पर विश्वास करना चाहिए. 

बारह आदिवासी बच्चों की यह एक अविश्वसनीय और प्रेरक सच्ची कहानी है. उनके पास जूते, भोजन, आश्रय, सुरक्षा कुछ नहीं था. उन्हें रुद्र (अभय देओल) द्वारा स्थानीय फुटबॉल प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए नामांकित किया जाता है, लेकिन वेल्स के रग्बी कोच पॉल उन्हें विश्व रग्बी चैंपियनशिप के लिए प्रशिक्षित करना चाहते थे.

फिल्म की शुरुआत में कुछ लड़कों को चुराए हुए कंचों के जार को हाथ में लेकर तेजी से भागते हुए दिखाया जाता है. ये बताता है कि किसी भी खेल के लिए जरूरी फुर्ती, समझदारी और थोड़ी चालाकी कितनी जरूरी है. 

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फिल्म में अभय देओल का किरदार प्रभावी है. वह कलिंगा इंस्टिट्यूट के एथेलेटिक डायरेक्टर रुद्र का रोल निभा रहे हैं, जिसने ओडिशा के गांवों से कुछ लड़कों को चुनकर फुटबॉल टीम बनाई होती है. पॉल (स्टीवर्ट राइट) नाम का शख्स कलिंगा के फाउंडर डॉ सामंत (अतुल कुमार) से इन लड़कों में से 12 को चुनकर रग्बी टीम बनाने के लिए मिलता है. इस टीम को इसलिए बनाना चाहता है ताकि वह 4 महीनों के भीतर इनको ट्रेनिंग देकर इंग्लैंड में रग्बी वर्ल्ड कप में अपना दम दिखा सके. 

इन सभी 12 लड़कों का ग्रुप जिनमें से कई अनाथ तो ज्यादातर गरीब होते हैं, वह रग्बी खेलने की शुरुआत करते हैं. हालांकि, यह एक ऐसा खेल होता है जिसके बारे उन्होंने पहली बार सुना होता है. हर तरह की परेशानियों के बावजूद वो साथ आते हैं, सीखते हैं और टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई कर लेते हैं.

लड़को की मेहनत को देखकर पहले नाराज रुद्र फिर इनको ट्रेनिंग देने का फैसला करता है. कहानी में दिलचस्प मोड़ तब आता है जब डेंगू होने की वजह से पॉल इंग्लैंड नहीं जा पाता और रुद्र को लड़कों के साथ जाना पड़ता है. यहां फीमेल लीड रोशनी (एमिली शाह) की एंट्री होती है. वह टीम की फिजियोथेरेपिस्ट बनी हैं. 

अगर आप किसी हौसले और जज्बे भरी कहानी को देखना चाहते हैं तो जंगल क्राई आपके लिए बेस्ट ऑप्शन रहेगी. पिछड़े इलाकों से निकलकर लड़के कैसे आगे बढ़ते हैं और कैसे अपना परचम लहराते हैं - ये कहानी का ट्विस्ट है और इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी. लेकिन कहानी के के केंद्र में एक महत्वपूर्ण महिला का होना इसे और बेहतरीन बनाता है. हां कुछ किरदारों को और बेहतर तरीके से उभारा जा सकता था. लेकिन फिर स्पेार्ट्स ड्रामा पसंद करने वालों के लिए जंगल क्राई एक शानदार फिल्म है.  

फिल्म का निर्देशन सागर बेल्लारी ने किया है और एक शानदार फिल्म दर्शकों के लिए तैयार की है. वहीं अभय देओल और एमिली शाह ने भी शानदार काम किया है. सपोर्टिंग रोल में अतुल कुमार, स्टीवर्ट राइट प्रभावित करते हैं. कुल मिलाकर सभी कलाकारों ने अपने किरदारों के साथ अपने-अपने स्तर पर न्याय किया है और इस रियल स्टोरी को पर्दे पर खूबसूरती से उतारा है.

निर्देशक सागर बल्लारी की फिल्म स्पोर्ट्स बायोपिक शैली की है. इसे देशभक्ति के साथ पेश किया गया है, और एक ऐसी फिल्म बनाई है, जो कंटेंट के मामले में बहुत अच्छी है. वहीं अभय देओल भी फिल्म के जरिए धमाकेदार वापसी कर रहे हैं.