CBSE Result : कम नंबर लाने वाले छात्र भी बन सकते हैं जज, यकीन न हो तो पढ़ें ये कहानियां
बड़ी शख्सियतों के बारे में हम बाद में बात करेंगे लेकिन पहले उन लोगों की बात जो हम लोगों के बीच से आए, अभावों में पढ़े और वो मुकाम हासिल कर लिया जिनका सपना वो भी नहीं देखे थे.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद बोर्ड की हाई स्कूल और इंटरमिडिएट के रिजल्ट घोषित हो चुके हैं. जिन्होंने कामयाबी हासिल की उनको बधाई. जो असफल हो गए हैं या उनके नंबर कम हैं तो निराश न हों. आज हम कुछ ऐसे लोगों की कहानियां बताने जा रहे हैं जो हाईस्कूल से ग्रेजुएशन तक बहुत अच्छे नंबर नहीं ला पाए लेकिन अपनी मेहनत के दम पर ऐसे मुकाम पर हैं जो आपके लिए प्रेरणा साबित होंगे. बड़ी शख्सियतों के बारे में हम बाद में बात करेंगे लेकिन पहले उन लोगों की बात जो हम लोगों के बीच से आए, अभावों में पढ़े और वो मुकाम हासिल कर लिया जिनका सपना वो भी नहीं देखे थे.
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सर्वजीत सिंहः Chief Judicial Magistrate Agra
उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े जिलों में से एक कुशीनगर के एक छोटे से गांव के रहने वाले सर्वजीत सिंह आज आगरा में सीजेएम हैं. सर्वजीत आजकल के बच्चों जैसे मेधावी नहीं थे. सरकारी स्कूलों में पढ़े. 1992 में सर्वजीत सिंह ने हाईस्कूल पास किया. श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज हाटा से आर्ट साइड से पास सर्वजीत के बहुत कम नंबर आए. वो सेकंड डीवीजन पास हुए. 1994 में उन्होंने स्कूल से फर्सट डीवीजन में इंटरमिडिएट पास किया, लेकिन उतने नंबर नहीं मिले जितने आजकल के बच्चों को मिल रहे हैं.
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1997 में उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीए सेकेंड डीवीजन से पास किया और इसी यूनीवर्सिटी से प्रथम श्रेणी में एलएसबी और सेकेंड डीवीजन एलएलएम पास हुए. इसके बाद वो पीसीएसजे क्वालफिाई किया और आज प्रमोट होकर सीजेएम बन गए. सर्वजीत कहते हैं कि नंबर मायने नहीं रखते. अगर आपके पास काबिलियत है तो कामयाबी खुद आपके पास आएगी. बस आपको अपने आप पर भरोसा होना चाहिए.
संजय मिश्राः ज्वाइंट कमिश्नर, जीएसटी, गाजियाबाद
मूलतः उत्तर प्रदेश के बड़हलगंज के रहने वाले संजय मिश्र का एकेडमिक रिकॉर्ड भी बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता. लेकिन इनको खुद पर विश्वास था. संजय 1988 में हाईस्कूल पास किए और नंबर आए 69%. इंटरमीडिएट में केवल 55%नंबर आए तो दोस्तों ने खूब मजाक उड़ाया. लेकिन संजय को अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा था. B.Sc में वो एक फीसद कम मार्कस लाए जिससे वो प्रथम श्रेणी में पास होने से रह गए. M.Sc में 78%और LLB में 60% नंबर लाकर वो सिविल सर्विसेज की तैयारियों में जुट गए.
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पहले ही प्रयास में वह 1996 में IAS और UP PCS प्री क्वालिफाई कर लिए लेकिन मेंन्स क्लियर नहीं कर पाए. 1998 में excise inspector बने और 2000 में आखिरकार UP PCS में सिलेक्ट हो ही गए. असिस्टेंट कमिश्नर सेल टैक्स के पद पर नियुक्ति मिली और आज वह गाजियाबाद में ज्वाइंट कमिश्नर जीएसटी हैं.तो अगर आपके नंबर कम आए हों तो निराश मत हों. अभी बहुत मौके आएंगे.
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