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पीड़िता को आसाराम तक पहुंचाने में था इन चार लोगों का हाथ

इस पूरी वारदात में आसाराम के साथ 4 अन्य लोग हॉस्टल का वार्डन, हॉस्टल संचालक, प्रमुख सेवादार और रसोइया का नाम शामिल है।

Updated on: 25 Apr 2018, 12:42 PM

जोधपुर:

कथित स्वयंभू धर्मगुरू आसाराम के खिलाफ उत्तर प्रदेश की एक नाबालिग लड़की ने दुष्कर्म का आरोप लगाये। इस मामले में आज जोधपुर कोर्ट ने आसाराम को दोषी करार दे दिया है।

बता दें कि यह मामला 15-16 अगस्त 2013 दरमियानी रात का है। जब राजस्थान के जोधपुर में एक फार्म हाऊस में आसाराम ने इलाज के बहाने एक 16 साल की नाबालिग का यौन उत्पीड़न किया था।

इस पूरी वारदात में आसाराम के साथ 4 अन्य लोग हॉस्टल का वार्डन, हॉस्टल संचालक, प्रमुख सेवादार और रसोइया का नाम शामिल है। पीड़िता ने दिल्ली कमलानगर थाने में 19 अगस्त 2013 को शिकायत दर्ज कराई थी उसमें इन चार लोगों के नाम भी हैं।

हालांकि कोर्ट ने आसाराम समेत अन्य आरोपियों में शरतचंद्र और शिल्पी को भी दोषी करार दिया है। इनके अलावा अन्य दो आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है।

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पीड़िता ने पुलिस को जो शिकायत दी थी उसके अनुसार हॉस्टल वार्डन शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता ने ही पीड़िता को भूत-प्रेत का भय दिखाया था। जिसके बाद उसने छात्रा को आसाराम के पास भेजा था।

वहीं हॉस्टल संचालक शरदचंद्र उर्फ शरतचंद्र ने छात्रा की बीमारी का पता चलने पर भी उसका इलाज नहीं कराया। पूरी रात छात्रा को अनुष्ठान में उलझाए रखा और आखिर में आसाराम को ही उपचारकर्ता बता कर उनके पास जाने को मजबूर किया।

प्रमुख सेवादार शिवा उर्फ सेवाराम भी इस पूरी वारदात में शामिल रहा। उसने छात्रा को शाहजहांपुरा से दिल्ली और दिल्ली से जोधपुर बुलाया था। उसने जोधपुर आश्रम में आसाराम से छात्रा को मिलाने की व्यवस्था की थी।

वहीं रसोइया प्रकाश द्विवेदी ने शरद, शिल्पी, शिवा और आसाराम के बीच मध्यस्थता की। आश्रम से छात्रा के परिजनों को वापस भेजा। छात्रा को अकेले रुकने को मजबूर किया।

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